UNESCO : कर्नाटक में स्थित होयसल साम्राज्य के मंदिरों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। यह यूनेस्को की इस लिस्ट में शामिल भारत का 42वां स्थल है।
एक दिन पहले ही पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन को इस सूची में शामिल किया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस उपलब्धि पर खुशी जताई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा, ‘भारत के लिए और अधिक गौरव! यूनेस्को ने विश्व विरासत सूची में होयसलों की भव्य पवित्र संरचनाओं को शामिल किया गया है।
होयसल मंदिरों की शाश्वत सुंदरता और जटिल विवरण भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और हमारे पूर्वजों की असाधारण शिल्प कौशल का प्रमाण हैं।’
UNESCO : विश्व धरोहर सूची में शामिल
यूनेस्को ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “अभी-अभी होयसला के पवित्र समूह को विश्व विरासत की सूची में शामिल किया गया है। बधाई हो भारत।“
यूनेस्को ने कहा कि इस धरोहर में 12वीं से 13वीं शताब्दी तक के दक्षिणी भारत में होयसल शैली के मंदिर परिसरों के तीन सबसे प्रतिनिधि संरचनाएं शामिल हैं।
कर्नाटक के होयसला मंदिर एक ऊंचे मंच पर स्थापित हैं और पूरे कर्नाटक में फैले हुए हैं। इनमें सोपस्टोन से बनी असंख्य मूर्तियां हैं।
UNESCO : होयसल साम्राज्य
भारत ने 31 जनवरी, 2022 को बेलूर, हलेबिदु और सोमनाथपुरा के होयसला मंदिरों को विश्व धरोहर स्थलों के रूप में नामित किया था। कर्नाटक में होयसल युग (1110 ई. – 1310 ई.) को कला, वास्तुकला और संस्कृति के क्षेत्र में शानदार उपलब्धियों का काल माना जाता है।
होयसल वंश का प्रारम्भ सन् 1111 ई. के आसपास मैसूर के प्रदेश में विट्टिग अथवा विट्टिदेव से हुआ। उसने अपना नाम विष्णुवर्धन रख लिया और 1141 ई. तक राज्य किया। उसने ‘द्वारसमुद्र’ (आधुनिक हलेविड) को अपनी राजधानी बनाया और हलेबिड में सुन्दर विशाल मन्दिरों का निर्माण कराया।
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