आज यानि सोमवार को आयोजित ‘सहकारिता मंथन’ में उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सहकारी उपलब्धियों और आवश्यकताओं को पेश किया। डॉ. रावत ने बताया कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां सहकारिता क्षेत्र में महिलाओं की 33% भागीदारी सुनिश्चित की गई है। उन्होंने कहा कि राज्य में मिलेट्स मिशन के तहत किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जहां पहले मंडुवा ₹10 प्रति किलो बिकता था, अब सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों से ₹42 प्रति किलो की दर से घर से ही खरीद की जा रही है। इससे किसानों की मिलेट्स उत्पादन में रुचि फिर से बढ़ी है।

सहकारिता के विस्तार पर बल

उन्होंने बताया कि राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों को सहकारिता विभाग द्वारा शून्य ब्याज दर पर ₹1, ₹3 और ₹5 लाख तक के ऋण उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर होकर स्वरोजगार अपना रही हैं। अभी तक प्रदेश में 12 लाख किसानों को कुल ₹6,500 करोड़ से अधिक का ऋण वितरित किया जा चुका है। डॉ. रावत ने नवगठित MPACS समेत अन्य सहकारी संस्थाओं को वित्तीय सहायता की आवश्यकता बताई और पर्वतीय क्षेत्रों में मूल्य श्रृंखला आधारित विकास के लिए सहकारिता के विस्तार पर बल दिया।

केंद्रीय मंत्री अमित शाह को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित

उन्होंने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु उत्तराखंड को उपयुक्त राज्य बताते हुए इसका एक कैंपस उत्तराखंड में स्थापित करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इसके लिए भूमि और आधारभूत ढांचा उपलब्ध कराने को तैयार है। सहकारिता मंत्री ने उत्तराखंड में प्रस्तावित सात दिवसीय सहकारी मेले में देशभर की सहकारी संस्थाओं और सभी राज्यों को आमंत्रित किया। उन्होंने केंद्रीय मंत्री अमित शाह को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित करते हुए “वाइब्रेंट विलेज” योजना को सहकारी दृष्टिकोण से जोड़ने और सीमा क्षेत्रों में सब्जियों व आवश्यक वस्तुओं के आदान-प्रदान की सहकारी प्रणाली विकसित करने का सुझाव दिया।

राज्यों को आर्थिक मजबूती मिलेगी

इसके अलावा, उन्होंने “घसियारी कल्याण योजना” सहित राज्य की अन्य योजनाओं को सहकारिता मॉडल से जोड़कर ग्रामीण आजीविका सशक्त बनाने के प्रयासों की जानकारी दी और केंद्र सरकार से मार्गदर्शन व सहयोग की अपेक्षा जताई। डॉ. रावत ने कहा कि पूर्व में एनसीडीसी के तहत राज्यों को कृषि मंत्रालय द्वारा दी जा रही 30% सब्सिडी को अब सहकारिता मंत्रालय द्वारा पुनः प्रारंभ किया जाना चाहिए, जिससे राज्यों को आर्थिक मजबूती मिलेगी। उन्होंने बताया कि तीन राष्ट्रीय समितियों के लिए निर्धारित 65 PACS के लक्ष्य की जगह 500 PACS जोड़े जा चुके हैं। उत्तराखंड को केंद्र से प्राप्त सभी लक्ष्यों को राज्य ने पूर्ण कर लिया है।

इस अवसर पर उत्तराखंड से निबंधक मेहरबान सिंह बिष्ट और अपर निबंधक आनंद शुक्ल भी मौजूद रहे।