स्वरोजगार को बढ़ाने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है। मधुमक्खी पालन से स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। मौनबॉक्स की कीमत को बढ़ाकर कर 350 रूपए प्रति मौनबॉक्स से 750 रूपए प्रति मौनबॉक्स कर दिया गया है।
स्वरोजगार को बढ़ाने के लिए सरकार का बड़ा फैसला
उत्तराखंड सरकार ने मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहन देने और भूमिहीन किसानों व नवयुवकों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अब मधुमक्खीपालन योजना के तहत पर-परागण के लिए दी जाने वाली राज सहायता को रुपए 350 प्रति मौनबॉक्स से बढ़ाकर रुपए 750 प्रति मौनबॉक्स कर दिया गया है।
कृषि मंत्री ने सीएम का किया आभार व्यक्त
कृषि मंत्री गणेश जोशी ने इस फैसले के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया है। कृषि मंत्री ने कहा कि मधुमक्खी पालन केवल शहद उत्पादन का साधन नहीं बल्कि ये कृषि क्षेत्र में पर-परागण की प्रक्रिया को बढ़ाकर फसलों की उत्पादकता में वृद्धि करने का एक महत्वपूर्ण जरिया भी है।
विशेष रूप से सेब और लीची जैसी फसलों में मधुमक्खियों की उपस्थिति से अधिक पैदावार मिलती है। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित करने से उत्तराखंड के कृषि और बागवानी क्षेत्र को नई ऊंचाइयां मिलेंगी और कृषकों की आर्थिक स्थिति सुधारने, स्वरोजगार को बढ़ावा देने और फसलों की उत्पादकता बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगा। मधुमक्खी पालन से किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी, स्वरोजगार के नए अवसर खुलेंगे और राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
सरकारी सहायता से होंगे ये लाभ
- कृषि क्षेत्र में सुधार : मधुमक्खियां फूलों से पराग इकट्ठा कर फसलों के प्राकृतिक पर-परागण में मदद करती हैं, जिससे पैदावार में वृद्धि होती है।
- बागवानी फसलों को मिलेगा लाभ : सेब, लीची, बादाम, सरसों और अन्य फल-फूल आधारित फसलों में उत्पादन बढ़ेगा।
- शहद उत्पादन से अतिरिक्त आय : किसानों को मधुमक्खी पालन से शहद, मोम और अन्य मधु उत्पादों से अतिरिक्त आमदनी होगी।
- सरकारी सहायता से किसानों का आर्थिक बोझ कम होगा : 750 रूपए प्रति मौनबॉक्स की सहायता मिलने से किसानों को मौनबॉक्स खरीदने में आर्थिक राहत मिलेगी।
- स्वरोजगार को बढ़ावा : ये योजना भूमिहीन नवयुवकों और बेरोजगारों को रोजगार का अवसर प्रदान करेगी।
- पर्यावरण संतुलन में योगदान: मधुमक्खियां जैव विविधता बनाए रखने और पर्यावरण को संतुलित करने में मदद करती हैं