Uttarakhand : उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन ने स्थानीय निवासियों की जिन्दगी को कई तरह से प्रभावित किया है। एक तरफ बाढ़ और भूस्खलन से घर के टूटने या जान जाने का खतरा है, तो दूसरी तरफ बंद सड़कों की वजह से अनिवार्य कारणों के भी जाना मुश्किल हो गया है।

खास तौर पर अगर मरीजों को अस्पताल पहुंचाना हो, तो इनके पास मीलों पैदल चलने और जोखिम उठाने के सिवा कोई दूसरा चारा नहीं बचता। ऐसा ही एक इलाका है निजमुला घाटी, जहां के दूरस्थ गांव से मीलों पैदल चलकर मरीज को चिकित्सालय लाने की तस्वीरें सामने आ रही हैं।

Uttarakhand : घरों में कैद रहने को मजबूर

वैसे तो उत्तरांचल के ग्रामीण टूटे पैदल रास्तों और उफनते नदी-नालों से गुजरते हुए रोजाना खतरों से खेलते हैं। लेकिन निजमुला घाटी के लोगों को एक बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।

दरअसल, इस घाटी को जोड़ने वाला बिरही निजमुला मोटर मार्ग कई जगहों पर भूस्खलन की वजह से तीन दिनों से बंद है। जगह-जगह भारी मलबा आने से मोटर मार्ग पर पैदल चलना भी खतरे से खाली नहीं है। इस वजह से इस क्षेत्र की 15 हजार से अधिक की जनसंख्या घरों में ही कैद होकर रह गई है।

Uttarakhand : पालकी बनाकर पहुंचाया अस्पताल

गाड़ी गांव की रजनी देवी जंगल गई थी, इस दौरान वह गंभीर रुप से चोटिल हो गई। वहीं गांव की ही जेठूली देवी भी कई दिनों से बीमार चल रही थी। तबीयत बिगड़ने पर ग्रामीणों ने डंडी कंडी की पालकी बनाकर महिलाओं को सात किमी पैदल चलकर जिला चिकित्सालय गोपेश्वर पहुंचाया, जहां दोनों महिलाओं का उपचार किया जा रहा है।

Uttarakhand : 13 अगस्त से क्षतिग्रस्त है सड़क मार्ग

गाड़ी गांव के ग्रामीण सुरेंद्र सिंह गडिया ने बताया कि 13 अगस्त की रात्रि को भारी वर्षा के चलते निजमुला घाटी के गांवों को जोड़ने वाला एकमात्र मोटर मार्ग जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गया है। इसकी वजह से ग्रामीणों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

शासन प्रशासन को सड़क मार्ग को खोले जाने के लिए लिखित व मौखिक रूप से अवगत कराया गया था, बावजूद इसके तीन दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक सड़क मार्ग ठीक नहीं हो पाया है। इस वजह से गांव के ग्रामीण घरों में ही कैद होकर रह गए हैं।

Also Read : NEWS : मुसलमान पहले हिंदू थे, हिंदू धर्म इस्लाम से भी पुराना – बोले गुलाम नबी आजाद