नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की फटकार के बाद उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने मसूरी में मानकों का उल्लंघन करने पर नौ होटलों को बंद करने के आदेश जारी किए हैं। इसके अलावा इसके अलावा 18 होटल जो पहले से बंद हैं, उन्हें पुन: शुरू करने से पहले पीसीबी की अनुमति लेने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा दो होटलों पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाई गई है। मसूरी झील के पास प्राकृतिक झरने से टैंकरों से पानी भरने का एनजीटी ने संज्ञान लेते हुए इस पर नियंत्रण पाने के निर्देश जारी किए थे।

पर्यावरण मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं होटल-होमस्टे

मसूरी में सैकड़ों की संख्या में छोटे-बड़े होटल व होमस्टे संचालित हो रहे हैं। इनमें से कई होटल खुलेआम पर्यावरण मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं। इसके बाद उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से चिह्नित 282 होटल और होमस्टे का निरीक्षण किया था। कई होटलों में जलापूर्ति जल संस्थान की ओर से की जा रही थी, जबकि कतिपय होटलों की ओर से वर्षा जल के संग्रहण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई थी। 18 होटल निरीक्षण के दौरान संचालन में नहीं पाए गए, जबकि नौ होटलों को कारण बताओ नोटिस के बावजूद पीसीबी से संचालन के लिए एनओसी नहीं ली गई थी। पीसीबी की ओर से इन सभी नौ होटल को छह नवंबर को बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। इसके अलावा 18 होटलों को एनओसी प्राप्त करने के बाद ही पुन: संचालन की अनुमति का नोटिस जारी किया गया है।

दो होटलों पर 60 लाख रुपये का जुर्माना

पीसीबी ने निरीक्षण के दौरान दो होटलों में प्रतिदिन पानी की आवश्यकता और आपूर्ति में अंतर पाया। इससे स्पष्ट हो रहा था कि होटलों की ओर से झील के पास बने झरने से टैंकरों के माध्यम से इन होटलों में जलापूर्ति की जा रही थी। एनजीटी के आदेशों के अनुपालन में दो होटलों में से एक पर 50 और दूसरे पर 10 लाख रुपये का पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के एवज में जुर्माना लगाया गया है।

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