भारतीय जनता पार्टी के मेनिफेस्टो पर उत्तराखंड प्रभारी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आज से चार दिन बाद 21 राज्यों में 105 से अधिक सीटों पर चुनाव होने है और भारतीय जनता पार्टी अचानक गहरी नींद से जागी है, 76 पन्नों का मेनिफेस्टो प्रस्तुत किया गया एक घंटा 40 मिनट की प्रेस कांफ्रेंस के बाद मीडिया से एक भी सवाल नहीं लिया गया, यह भारतीय जनता पार्टी की गंभीरता को दर्शाता हैं। एक तरफ देश महंगाई, बेरोजगारी से त्राहिमाम हैं और दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी को लोगो के बीच जाकर उनकी ग़ुरबत दुःख परेशानी टटोलने का समय तक नहीं हैं, मन की बात सुनाते सुनाते मोदी जी भूल ही गए की सरकारों को जनता की मन की बात भी सुननी होती हैं।

कांग्रेस की मेनिफेस्टो कमेटी दिसंबर 2023 में गठित हो गई थी और भारत जोड़ो यात्रा के अनुभव, लोगों की आकांक्षाएं, अपेक्षाएं और आशंकाओं को ध्यान में रखकर मेनिफेस्टो (न्याय पत्र) बनाया गया| जिसमें पांच तरह के न्याय और 25 गारंटियो पर प्रमुखता से बात रखी गयी हैं| एक तरफ जंहा कांग्रेस का मेनिफेस्टो विशेषज्ञों की राय और आमजन की भागीदारी से सवा तीन महीने में बनकर तैयार हुआ वहीँ भारतीय जनता पार्टी की मेनिफेस्टो कमेटी 30 मार्च 2024 को गठित होती है मात्र 13 दिन पहले जब पहले चरण के चुनावो को चार दिन बचे हैं

भाजपा के जुमला पत्र में दावा किया गया है कि 25 करोड लोगों को गरीबी रेखा से निकाल लिया गया है और नीति आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाया जा रहा है, पर वही नीति आयोग यह भी दावा करता है अपनी रिपोर्ट में कि देश की 20% आबादी आज ₹46 प्रतिदिन पर गुजर बसर करने के लिए मजबूर है|

आज प्रतिदिन दो किसान और दो युवा आत्महत्या कर रहे हैं, भाजपा के पूरे मेनिफेस्टो में केवल दो बार रोजगार की बात की गई है, जिस देश में 65% आबादी 35 वर्ष की आयु से कम के युवाओं की हो और जब 45साल की बेरोजगारी का आंकड़ा पार हो गया हो वहां सत्तारुड दल के मेनिफेस्टो में रोजगार का जिक्र केवल दो बार होना यह विडंबना नहीं तो और क्या है?

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