सारी गांव बना मिसाल

प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही हैं। होमस्टे योजना पहाड़ों पर लोगों को रोजगार दे रही है। होमस्टे योजना से रूद्रप्रयाग जिले के एक गांव की तस्वीर ही बदल दी। इस योजना से ना केवल लोगों को रोजगार मिला है बल्कि गांव से पलायन भी रूका है और अब सालभर गांव में पर्यटक आते हैं।

उत्तराखंड का सारी गांव बना मिसाल

रुद्रप्रयाग जिले में तुंगनाथ, चोपता ट्रैक पर मौजूद सारी गांव उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में ग्रामीण पर्यटन और स्वरोजगार की मिसाल कायम कर रहा है। सारी गांव में इस वक्त करीब 50 होम स्टे संचालित हो रहे हैं, जिसमें ढाई सौ से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष रोजगार मिल रहा है।

सारी गांव में होम स्टे की शुरुआत, 1999 में माउंटेन गाडड मुरली सिंह नेगी ने की तब उन्होंने अपने पुराने घर की मरम्मत करते हुए, इस क्षेत्र में ट्रैकिंग के लिए आने वाले पयर्टकों को ठहरने और खाने की सुविधा प्रदान की। चूंकि यहां वर्ष भर पयर्टकों की आवाजाही रहती है। इस कारण जल्द ही अन्य लोगों ने भी अपने परम्परागत घरों के दरवाजे पयर्टकों के लिए खोल दिए।

स्वरोजगार के चलते गांव में कम हुआ पलायन

ग्रामीण शुरुआत से ही पयर्टकों को पहाड़ी जीवनशैली के अनुरूप आवास और भोजन उपलब्ध कराते थे। जो पर्यटकों को नया अनुभव देता था। अब वर्तमान में यहां होम स्टे की संख्या 50 तक पहुंच गई है जिसमें से 41 पर्यटन विभाग के पास पंजीकृत हैं। कई लोगों ने प्रदेश सरकार की दीन दयाल उपाध्याय पयर्टक होम स्टे योजना के तहत भी होम स्टे शुरु किए हैं।

इसके अलावा 30 लोगों को ट्रेकिंग ट्रक्शन सेंटर होम-स्टे योजनान्तर्गत के तहत अनुदान मिला है। स्थानीय ग्रामीण जीएस भट्ट बताते हैं कि गत वर्ष गांव में करीब सात हजार पयर्टक ठहरने के लिए आए। स्वरोजगार के चलते गांव में पलायन बहुत कम है, साथ ही अन्य गांवों के विपरीत सारी गांव पूरी तरह जीवंत बना हुआ है।

सीएम धामी ने भी की सारी गांव की तारीफ

दिसंबर 2024 में रुद्रपयाग जिले के दौरे पर पहुंचे सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी सारी गांव पहुंच कर होम स्टे में रात्रि विश्राम किया था। इस दौरान मुख्यमंत्री ने गांव में पयर्टन और स्वरोजगार के मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि इसे अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने ग्राम वासियों के साथ ही भोजन भी किया।