Shankhnaad India Exclusive: उत्तराखंड Uttarakhand सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण Horizontal Reservation प्रदान करने का प्रावधान किया है। यह निर्णय आंदोलनकारियों और उनके परिवारों को सम्मान देने और उनके योगदान की मान्यता के रूप में लिया गया है। इस आरक्षण का उद्देश्य आंदोलनकारियों के परिवारों के कल्याण और उनके बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करना है।

उत्तराखंड के गृह सचिव शैलेश बगौली Shailesh Bagoli द्वारा जारी आदेश के अनुसार, 11000 से अधिक चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को इस आरक्षण का लाभ मिलेगा। यह आदेश 21 अगस्त 2024 को धामी सरकार Dhaami Government द्वारा जारी की गई अधिसूचना के बाद आया, जिसमें राज्य आंदोलनकारी आश्रित प्रमाणपत्र जारी करने का प्रावधान किया गया।

महत्वपूर्ण शर्तें
जो राज्य आंदोलनकारी पहले से सरकारी सेवाओं में राज्य आंदोलनकारी कोटे से नियुक्त हैं, उनके आश्रितों को राज्य आंदोलनकारी आश्रित प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाएगा। जो आंदोलनकारी पहले ही क्षैतिज आरक्षण का लाभ ले चुके हैं, वे इसे अन्य सरकारी सेवाओं Government Jobs में पुनः नहीं ले सकेंगे।

उत्तराखंड  राज्य आंदोलनकारी

सामाजिक और राजनीतिक महत्व
यह निर्णय राज्य आंदोलनकारियों और उनके परिवारों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करता है। राज्य आंदोलनकारी उत्तराखंड राज्य की स्थापना के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं, और यह आरक्षण उनके योगदान को मान्यता देने का एक तरीका है।

चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा
हालांकि यह निर्णय महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में चुनौतियाँ आ सकती हैं। प्रशासनिक तंत्र को सुनिश्चित करना होगा कि सभी पात्र व्यक्तियों को सही तरीके से आरक्षण का लाभ मिले। इसके लिए पारदर्शी और सक्षम प्रणाली का निर्माण आवश्यक है।

क्षैतिज आरक्षण का अर्थ
यह आरक्षण सामान्य, ओबीसी, एससी, और एसटी जैसे सभी वर्गों में समान रूप से लागू होता है। 10 प्रतिशत का यह आरक्षण उन सभी सरकारी सेवाओं में प्रभावी होगा, जहां राज्य सरकार की नौकरियां हैं। इसका तात्पर्य यह है कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार सामान्य चयन प्रक्रिया में पहले से चुने गए वर्गों में से होंगे।

लाभार्थी कौन हैं?
वे व्यक्ति जो उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान सक्रिय रूप से शामिल थे। उनके आश्रित (बच्चे और परिवार के सदस्य)। राज्य आंदोलनकारी के रूप में प्रमाणित होने के लिए सरकार द्वारा जारी किए गए दस्तावेजों की आवश्यकता होगी।

इतिहास और महत्व
उत्तराखंड 9 नवंबर 2000 को अलग राज्य बना। इसे अलग राज्य बनाने के लिए हुए आंदोलन में कई लोगों ने अपनी जान गंवाई, संघर्ष किया और जेल गए। आंदोलनकारियों को आर्थिक और सामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए इस प्रकार की योजनाएं और आरक्षण लागू किए गए।

राज्य आंदोलनकारियों के लिए 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण उत्तराखंड सरकार का एक महत्वपूर्ण और स्वागत योग्य कदम है। यह न केवल उनके योगदान को सम्मानित करता है बल्कि उनके आश्रितों को सरकारी सेवाओं Public Administration में समान अवसर प्रदान करता है। इस पहल का सफल क्रियान्वयन राज्य में सुशासन और पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

 

 

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