नैनीताल। आस्था और विश्वास के टकराव से जुड़ा एक अनोखा मामला उत्तराखंड उच्च न्यायालय में पहुंचा है। हल्द्वानी निवासी पूनम ने अपने पति भुवन चंद्र सनवाल से तलाक की मांग की है, यह कहते हुए कि उनका पति नास्तिक है और किसी भी हिंदू धार्मिक रीति-रिवाज को नहीं मानता। पूनम का आरोप है कि शादी के बाद ससुराल पक्ष, जो स्वयंभू संत रामपाल के अनुयायी हैं, ने घर का मंदिर हटाने और देवी-देवताओं की मूर्तियां बाहर रख देने को कहा।
महिला का कहना है कि जब उनके बेटे का नामकरण संस्कार करने की बात आई, तो पति ने यह कहकर मना कर दिया कि उनके आध्यात्मिक मार्ग में ऐसे संस्कारों की अनुमति नहीं है। पारिवारिक न्यायालय नैनीताल ने पूनम की तलाक याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय में अपील दायर की।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रवींद्र मैथाणी और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने कहा कि दंपति के बीच सुलह की संभावना अभी बाकी है। अदालत ने दोनों को परामर्श (काउंसलिंग) के लिए भेजने के आदेश दिए, ताकि सात वर्षीय बेटे के भविष्य को ध्यान में रखते हुए समाधान का रास्ता निकाला जा सके।
