मृत्युंजय दीक्षित

हिमालय की गोद में बसे भारत के दो छोटे राज्य हिमाचल और उत्तराखंड सनातन ऋषि परम्परा के साक्षी तथा वाहक और सरलमना संतोषी निवासियों के कारण देवभूमि कहे जाते हैं। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाले वाले ये राज्य प्रायः ही प्राकृतिक आपदाओं से जूझते हैं किंतु अब यह दोनों ही राज्य इस्लामिक जिहाद का गढ़ भी बनते जा रहे हैं। दोनों ही राज्यों में बांगलादेशी व रोहिंग्या का दायरा बढ़ता जा रहा है। घुसपैठिये धीरे-धीरे जल, जंगल और जमीन के साथ लव जिहाद तथा अन्य माध्यमों निरंतर धर्मान्तरण का प्रयास भी कर रहे हैं। दोनों ही राज्य हिन्दू संस्कृति की दृष्टि से भीषण खतरे में हैं।

हिमाचल के जिस क्षेत्र में जहां 95 प्रतिशत हिंदू आबादी रहा करती थी वहां पर पांच मंजिल की अवैध मस्जिद बन चुकी है, मस्जिद में आने वाले मुसलमानों ने स्थानीय हिन्दू परिवारों का जीना दूभर कर दिया है, हिन्दू सड़क पर हैं लेकिन सरकार सो रही है। प्रश्न है किआखिर वे कौन से तत्व हैं जो देवभूमि को बरबाद करने पर तुले हुए हैं? उत्तराखंड और हिमाचल दोनो ही राज्य कानून और व्यवस्था के मामले में अच्छे राज्य गिने जाते थे, चोरी-चकारी, छीना-झपटी जैसी चीजें वहां होती ही नहीं थीं किंतु घुसपैठियों की बढती संख्या के साथ साथ अब आपराधिक घटनाओं की बाढ़ सी आ गई है। दोनों ही राज्यों में अवैध मस्जिदों और मजारों को लेकर लगातार विवाद हो रहे हैं। उत्तराखंड के जंगलों में अवैध मजारें बना दी गईं, जब सरकारी प्रशासन को पता चला तो वहां पर बुलडोजर चला कर मजारों को ध्वस्त किया गया।

 

ये सभी मजारें अवैध और सुनियोजित साजिश के तहत जमीन जिहाद का एक हिस्सा थीं। इसी क्रम में ताजा प्रकरण हिमांचल प्रदेश के संजौली का है, जहां एक पांच मंजिला अवैध मस्जिद निर्माण को लेकर स्थानीय जनता आंदोलन कर रही है और सुरक्षा कारणों से कांग्रेस सरकार से मस्जिद को ध्वस्त करने की मांग कर रही है क्योंकि मामला कोर्ट में भी है इसलिए प्रशासन आराम से बैठा है। संजौली की यह मस्जिद सरकारी जमीन पर बनी है यह राजधानी शिमला के माल रोड से लगभग पांच किलोमीटर दूर है। इस मस्जिद में आने वाले मुसलमाओं में बड़ी संख्या में रोहिंग्या होने के आरोप हैं। अगर ये आरोप सही है तो प्रश्न उठता है कि बांग्लादेश से आने वाले रोहिंग्या 95 प्रतिशत आबादी वाले हिंदू इलाके में पहुंच कैसे गये?

महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने ही विधानसभा में इस मस्जिद को अवैध बताया और इसे गिराने की मांग करते हुए कहा कि संजोली बाजार में महिलाओं का चलना मुश्किल हो गया है, चोरियां हो रही हैं, लव जिहाद जैसी घटनाएं हो रही हैं जो प्रदेश के लिए खतरनाक हैं। दूसरी ओर वक्फ बोर्ड कह रहा है कि ये जमीन सरकार की नहीं अपितु उसकी है। तथ्य ये है कि वर्ष 1967 के सरकारी दस्तावेज इस बात की पुष्टि करते हैं कि ये जमीन सरकार की थी। कुछ सालों पहले तक यह छोटी सी मस्जिद थी जो अब पांच मंजिल की बन चुकी है। मस्जिद का मामला कोर्ट में 14 वर्षों से विचाराधीन है और मुकदमे की 44 बार सुनवाई हो चुकी है।

हिमाचल का संजोली मस्जिद विवाद गहरा जाने के बाद यह बात जोर पकड़ रही है कि क्या पर्वतीय प्रदेशों में जनसांख्यिकीय सतुंलन बदलने का सुनियोजित षड्यंत्र चल रहा है? दोनों ही प्रान्तों में मुसलमानों, मजारों और मस्जिदों की संख्या तेजी से बढ़ रही है? इन प्रान्तों में हिन्दुओं की आबादी लगातर कम हुई है जबकि मुसलमानों की आबादी में लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 1951 में हिमांचल प्रदेश में हिन्दुओ की आबादी 98.14 प्रतिशत थी जो वर्ष 2011 में 95.2 प्रतिशत हो गई थी। अलग-अलग समय की जनगणना से ये पता चलता है कि जहां एक तरफ हिमांचल प्रदेश में हिन्दुओं की आबादी लगातार कम हुई है और वहीं मुसलमानों की आबादी लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2011 से हमारे देश में जनगणना नहीं हुई है और पिछले 13 वर्षो में हिमाचल प्रदेश की डेमोग्राफी कितनी बदली हे अभी इसके सटीक आंकड़े हमारे पास उपलब्ध नहीं हैं।

चार साल में बढ़ गई 12 मस्जिदें- स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले 10 से 12 वर्षों में मुसलमानों की आबादी तेजी से बढ़ी है और इसका अनुमान हिमांचल में बनी नई मस्जिदों से लगाया जा सकता है। हिमांचल प्रदेश हिंदू जागरण मंच का दावा है कि कोविड से पहले प्रदेश में 393 मस्जिदें थीं जिनकी संख्या कोविड के बाद 520 हो गईं। इन सभी 127 मस्जिदों का निर्माण कोविड के समय हुआ था। ज्ञातव्य है कि कोविड के दौरान लाकडाउन के समय नियमों को तोड़ने की सबसे अधिक घटनाएं मुस्लिम सम्प्रदाय द्वारा ही की गई थीं।

हिमांचल की राजधानी शिमला में पहली बार सांम्प्रादायिक तनाव की स्थिति पैदा हुई है और हिन्दू जनमानस को अपनी सुरक्षा के लिए सड़क उतरना पड़ा है। हिन्दुओं की एकमात्र मांग है कि पांच मंजिला अवैध मस्जिद को ध्वस्त किया जाये ओर बांग्लादेशी व रोहिंग्याओ घुसपैठियों को बाहर किया जाये। अब कांग्रेस सरकार के मंत्री ही अपनी सरकार से विनती कर रहे हैं कि इस बात की जांच कराई जाए कि अचानक प्रदेश में बाहरी मुसलमानों की संख्या कैसे बढ़ गई? रेहड़ी पटरी और बाजारों पर रोहिंग्या मुसलमानों का कब्जा कैसे हो गया? इस पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने ही मंत्री को नसीहत दे डाली कि मंत्रियों व विधयाकों को इस तरह के मामलों में नहीं पड़ना चाहिए।

आंदोलनकारी जनता कह रही है, अगर सरकार इस मस्जिद को नहीं गिराती हे तो वह स्वयं आगे आगे आकर इसे गिरा देंगे। ज्ञातव्य है कि शिमला में ढाई मंजिलसे अधिक ऊँची इमारत बनाने पर प्रतिबन्ध है। देवभूमि क्षेत्रीय संगठन के नेतृत्व तले प्रदर्शनकारियों ने ये यह साफ कर दिया है कि उन्हें शिमला के स्थानीय मुसलमानों से कोई परेशानी नहीं है लेकिन रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमान समस्या बन गये हैं। प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि शिमला की सड़कों पर लगने वाली दुकानों पर रोहिंग्या मुसलमानों ने कब्जा कर लिया है वे हिन्दुओं को दुकानें नहीं लगाने देते, बहन बेटियों को छेड़ते हैं, विरोध करने पर खून खराबे पर उतर आते हैं।

फैसला होगा उसका पालन सरकार करायेगी? अब इस प्रकरण पर सभी मुस्लिम हितैषी कूद पड़े हैं, एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने राहुल गांधी से सवाल पूछा कि, “मुहब्बत की दुकान में इतनी नफरत कहां से आ गई? मस्जिद का मुकदमा कोर्ट में है तो हिंदू उसे गिराने की मांग कर रहे हैं, कांग्रेस के मंत्री उनकी बातों का समर्थन कर रहे हैं। टीवी चैनलों व सोशल मीडिया पर भी बहस प्रारम्भ हो गई है। हर बार की तरह उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी व अन्य क्षेत्रीय दल बहसो में जोरदार ढंग से मुस्लिम तुष्टिकरण कर रहे हैं। संविधान के रक्षक इंडी गठबंधन के सभी दल अवैध मस्जिद को वैध बता रहे हैं और बयान दे रहे हैं कि भारत में कोई भी व्यक्ति कहीं भी किसी भी स्थान पर रह सकता है।

इन परिस्थितियों से स्पष्ट प्रतीत प्रतीत हो रहा है कि भारत में अवैध नागरिकों का प्रवेश कांग्रेस व इंडी गठबंधन के लोग ही करा रहे हैं और डेमोग्राफी बदलने की साजिश रच रहे हैं। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि कांग्रेस मंत्री अनिरूद्द सिंह लव जिहाद और रोहिंग्या घुसपैठियों जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके भाजपा की जुबान बोल रहे हैं।

उत्तराखंड में चार जिलों में डेमोग्राफिक बदलाव- उत्तराखंड के चार जिलों में भी तीव्रता के साथ डेमोग्राफिक बदलाव देखने को मिल रहा है। चार मैदानी जिलों हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर, नैनीताल और देहरादून में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है। वर्ष 2001 में हरिद्वार में हिन्दुओं की आबादी 65.3 प्रतिशत जो 2011 में घटकर 64.3 प्रतिशत रह गई जबकि मुसलमानों की आबादी में 1.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई और ये 33 से 34.3 प्रतिशत तक पहुंच गई। इसी प्रकार देहरादून में हिन्दुओं की आबादी 0.7 प्रतिशत घट गई। विगत 10 वर्षों में ऊधम सिंह नगर में हिन्दुओं की आबादी 0.4 प्रतिशत कम हो गई जबकि मुसलमानों की आबादी 2 प्रतिशत बढ़ गई।

उत्तराखंड में भी अपराध बढ़ गये हैं जिसमें बालिकाओं के साथ दुष्कर्म व छेड़छाड़, लव जिहाद, लोगों के पर्स व मोबाइल आदि छीनकर भाग जाना, बाजारों में चोरी चकारी जैसी घटनाएं तेजी से बढ़ गई हैं। अभी हाल ही में कुछ भगवाधारी नकली साधुओं को पकड़ा गया जो वास्तव में बांग्लादेशी रोहिंग्या निकले। एक नकली बाबा बद्रीनाथ धाम को बदरुद्दीन की मजार बता रहा था। हिंदू आस्था के सबसे बड़े केंद्रों को नकली भगवा चोला ओढ़कर मजार व मस्जिद बताया जा रहा है इससे बड़ा षड्यंत्र और क्या होगा? यही नकली बाबा धार्मिक स्थलों पर माहौल खराब करने की भी साजिश रच रहे हैं। अब यह समय हिन्दुओं के लिए सतर्कता व सजगता का है।

 

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