देहरादून: राजमार्ग (एनएच) 74 घोटाले में पीसीएस अफसर डीपी सिंह, पूर्व एसडीएम काशीपुर भगत सिंह फोनिया समेत सात के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का एक और मामला सामने आया है। सभी पर करीब आठ करोड़ रुपये के धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का आरोप है।
ईडी ने मामले में करीब दो साल पहले चार्जशीट दाखिल की थी, जिसका अब कोर्ट ने संज्ञान लेकर सभी को समन जारी करने के आदेश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई के लिए दो दिसंबर की तिथि नियत की गई है। ईडी ने पांच अगस्त 2022 को पीसीएस अफसर डीपी सिंह, पूर्व एसडीएम काशीपुर भगत सिंह फोनिया, पूर्व तहसीलदार मदन मोहन पाडलिया, संजय कुमार चौहान, एक कंपनी फाइबरमार्क्स पेपर्स प्राइवेट लिमिटेड, इसके अधिकारी जसदीप सिंह गोराया और हरजिंदर सिंह के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में चार्जशीट दाखिल की थी।
इस पर स्पेशल ईडी कोर्ट ने संज्ञान लिया है। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद इन सभी आरोपियों पर 7.99 करोड़ रुपये का प्रोसीड ऑफ क्राइम (पीओसी) बना है। यानी इन आरोपियों ने किसानों की जमीन खरीद-फरोख्त और इसके मूल्य निर्धारण में अनियमितताएं कर इस रकम का मनी लॉन्ड्रिंग में उपयोग किया। ईडी ने मंगलवार को इस चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए अगली सुनवाई दो दिसंबर को करने के निर्देश दिए हैं। ईडी ने सितंबर में भी एक चार्जशीट दाखिल की थी।
ये है पूरा मामला
मार्च 2017 में एनएच 74 घोटाला सामने आया था। तत्कालीन एडीएम प्रताप शाह ने ऊधमसिंह नगर की सिडकुल चौकी में एनएचएआई के अधिकारी, कर्मचारियों के साथ ही सात तहसीलों के तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार और कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। इस घोटाले में दो आईएएस और पांच पीसीएस अफसर निलंबित किए गए। 30 से अधिक अधिकारी, कर्मचारी, दलाल और किसानों को जेल जाना पड़ा था। घोटाले के आरोप में तत्कालीन एसएलओ और पीसीएस अफसर दिनेश प्रताप सिंह को मुख्य आरोपी बनाया था।