मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा के साथ गुरुवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे हैं। जो 11 अक्टूबर तक रहेंगे। इस बार पांच व छह को तृतीया होगी जबकि अष्टमी व नवमी पूजन 11 को किया जाएगा। सुबह 6:24 से दोपहर 12:39 बजे तक घटस्थापना करने का मूहुर्त रहेगा।

दो दिन रहेगी तृतीय की तिथि

अश्विन मास के शुल्क पक्ष की प्रतिपदा के साथ नवरात्र शुरू होते हैं। इस दौरान व्रत रख पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। इस बार पांच व छह अक्टूबर को तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा होगी। तृतीया तिथि दो दिन रहेगी, जिससे नवरात्र की अवधि बढ़ेगी। तिथि वृद्धि शुभ होती है और समृद्धि लाती है। वहीं, 11 को अष्टमी नवमी का पूजन एक दिन होगा। अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर दोपहर 12.31 से शुरू होगी और 11 को दोपहर 12.06 पर समाप्त होगी। इसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी। सुबह 6: 24 से दोपहर 12:39 बजे तक घटस्थापना करने का मूहुर्त रहेगा।

कलश स्थापना विधि

सुबह उठकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र पहनें। मंदिर की साफ-सफाई करके गंगाजल छिड़कें। इसके बाद लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें। मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें। साथ ही इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश में चारों ओर आम, अशोक के पत्ते लगाएं व स्वास्तिक बनाएं। फिर इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें। एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें, इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए मां जगदंबे का आह्वान करें। फिर दीप जलाकर कलश की पूजा करें।

नौ दिन इस तरह होगी मां दुर्गा की पूजा

प्रथम शैलपुत्री 03 अक्टूबर, द्वितीया ब्रह्मचारिणी 04 अक्टूबर, तृतीया चंद्रघंटा 05 अक्टूबर, तृतीया चंद्रघंटा 06 अक्टूबर, चतुर्थ कूष्मांडा 07 अक्टूबर, पंचम स्कंदमाता 08 अक्टूबर, षष्ठम कात्यायनी 09 अक्टूबर, सप्तम कालरात्रि 10 अक्टूबर, अष्टमी-नवमी महागौरी व सिद्धिदात्री 11 अक्टूबर।