रुड़की के एक अस्पताल में आज दो डॉक्टरों के बीच हुई मारपीट ने स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। यह घटना आज दोपहर 12:30 बजे के आसपास हुई, जब सीएमएस (चिफ मेडिकल सुपरीटेंडेंट) संजय कंसल और पीडियाट्रिक डॉक्टर ए. के. मिश्रा के बीच विवाद उत्पन्न हुआ। इस विवाद ने न केवल दोनों डॉक्टरों के पेशेवर रिश्तों को झकझोर दिया, बल्कि पूरे चिकित्सा क्षेत्र में एक और बदनुमा दाग छोड़ दिया।

जानकारी के अनुसार, यह विवाद एक मेडिकल दस्तावेज को लेकर हुआ था, जिसे डॉक्टर ए. के. मिश्रा द्वारा तैयार किया गया था। यह दस्तावेज सीएमएस संजय कंसल के द्वारा जारी किया जाना था। लेकिन जब संजय कंसल ने उसे जारी करने की बजाय उसे फाड़ दिया, तो डॉक्टर मिश्रा इस पर नाराज हो गए। इस अप्रत्याशित कदम ने अस्पताल के माहौल में तनाव बढ़ा दिया और दोनों डॉक्टरों के बीच तकरार हो गई। शुरू में यह तकरार शब्दों तक सीमित रही, लेकिन धीरे-धीरे मामला हाथापाई तक जा पहुंचा।

इस घटना के बाद से अस्पताल के कर्मचारी और मरीज भी इस विवाद के गवाह बने। दोनों डॉक्टरों के बीच हाथापाई से अस्पताल के भीतर का माहौल पूरी तरह से खराब हो गया, जिससे अस्पताल में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों में भी असहजता का माहौल उत्पन्न हो गया।

घटना की जानकारी मिलते ही उच्च अधिकारी सक्रिय हो गए और मामले की गंभीरता को देखते हुए एक तात्कालिक जांच समिति का गठन किया गया। तीन सीनियर डॉक्टरों की एक समिति बनाई गई है, जो इस विवाद की जांच करेगी। यह समिति घटना के सभी पहलुओं का विश्लेषण करेगी और दोषी पाए गए डॉक्टरों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

यह घटना यह दर्शाती है कि डॉक्टरों के बीच अहम की लड़ाई कितनी गंभीर हो सकती है और पेशेवर संबंधों में तनाव की स्थिति में यह किसी भी मरीज के लिए खतरनाक हो सकती है। स्वास्थ्य व्यवस्था में डॉक्टरों का पेशेवर रवैया और आपसी सम्मान अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर डॉक्टरों के बीच ऐसे विवाद बढ़ते रहे, तो इसका सीधा असर चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता पर पड़ेगा और मरीजों को नुकसान हो सकता है।

अस्पताल के इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल उठाया है कि क्या स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य करने वाले पेशेवरों के बीच आपसी सम्मान और अनुशासन की कमी है। जब चिकित्सा सेवाएं इतनी संवेदनशील होती हैं, तो इस प्रकार के विवाद न केवल डॉक्टरों के आपसी रिश्तों को खराब करते हैं, बल्कि समाज में भी चिकित्सा पेशे की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं।

मामला बढ़ने के बाद जिला अस्पताल प्रशासन ने इस घटना की कड़ी आलोचना की और कहा कि ऐसी घटनाओं को रोका जाना चाहिए। प्रशासन ने यह भी आश्वासन दिया कि जांच पूरी होने तक मामले को गंभीरता से लिया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

समाज और चिकित्सा क्षेत्र के लिए यह एक चेतावनी है कि ऐसे विवादों से बचने के लिए डॉक्टरों को आपसी समझ, धैर्य और पेशेवर जिम्मेदारी से काम करना होगा, ताकि स्वास्थ्य व्यवस्था में विश्वास बना रहे और लोगों को उचित चिकित्सा सेवा मिल सके।