राज्यसभा सदस्य और भाजपा के प्रमुख राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी के आवास पर सोमवार को इगास (बूढ़ी दिवाली) पर्व धूमधाम से मनाया गया। यह पर्व उत्तराखंड में दिवाली के 11 दिन बाद मनाया जाता है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योगगुरु बाबा रामदेव और परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती के साथ गौ पूजा कर पवित्र अग्नि प्रज्वलित की। इस खास मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और अन्य कई दिग्गज नेता मौजूद थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम के दौरान इगास पर्व को जीवित करने की अनिल बलूनी की मुहिम की सराहना की। पीएम मोदी ने कहा, “यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रयास है, जो हमारी प्राचीन परंपराओं को संरक्षित करने की दिशा में किया जा रहा है।” बलूनी ने इस पर्व को पुनर्जीवित करने के लिए पांच सालों तक मेहनत की और अब यह पर्व न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि देशभर और दुनिया में मनाया जा रहा है।

इस दौरान अनिल बलूनी ने कहा, “प्रधानमंत्री की प्रेरणा से इस पर्व को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया है और अब यह पर्व न केवल उत्तराखंड में, बल्कि अन्य राज्यों में भी मनाया जा रहा है।” उन्होंने इगास के अवसर पर उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा इस पर्व को सार्वजनिक अवकाश घोषित किए जाने के फैसले का भी स्वागत किया।

बलूनी ने इगास के पर्व के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को बताते हुए कहा कि इस पर्व के संदर्भ में कई मान्यताएं प्रचलित हैं। एक प्रमुख मान्यता के अनुसार, लंका विजय के बाद जब भगवान राम अयोध्या लौटे, तो उनका स्वागत करने के लिए लोगों ने दीप जलाए थे। इस दिन की सूचना गढ़वाल क्षेत्र में कार्तिक शुक्ल एकादशी को मिली थी, जिसके बाद इगास (बूढ़ी दिवाली) मनाने की परंपरा शुरू हुई। दूसरी मान्यता यह है कि गढ़वाल के माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में तिब्बत का युद्ध जीतने के बाद उनकी सेना दिवाली के 11 दिन बाद गढ़वाल लौटी थी, और इसे इगास पर्व के रूप में मनाया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस खास मौके की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” (पूर्व में ट्विटर) पर भी शेयर की। पीएम मोदी ने पोस्ट करते हुए लिखा, “उत्तराखंड के मेरे परिवारजनों सहित सभी देशवासियों को इगास पर्व की बहुत-बहुत बधाई! दिल्ली में आज मुझे भी उत्तराखंड से लोकसभा सांसद अनिल बलूनी जी के यहां इस त्योहार में शामिल होने का सौभाग्य मिला। मेरी कामना है कि यह पर्व हर किसी के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाए।”

उन्होंने आगे लिखा, “हम विकास और विरासत को एक साथ लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुझे इस बात का संतोष है कि लगभग लुप्तप्राय हो चुका लोक संस्कृति से जुड़ा इगास पर्व, एक बार फिर से उत्तराखंड के मेरे परिवारजनों की आस्था का केंद्र बन रहा है।”