शंखनाद INDIA/ उत्तराखंड-: आमतौर पर कश्मीर में हेने बाले केसर की जमीन अब अपने उत्तयखंड में भी तैयार हेने लगी है। आम्या परियोजना व उद्योग विभाग ने कुमाक मंहल के गावो में किसानों के साथ मिलकर केसर की खेती का ट्रायल शुरू किया है। शुरुआती नतीजं से किसान य अधिकारी उत्साहित है। हिमालयी आबोहवा में होने वाले केसर को उत्तरखंड की जलवायु सुषाती है। तो भविष्य में केसर पहाड़ के किसानों की आजीविका को समृद्ध करने के साथ बड़े वर्गं को रेजगार मुहैया कराने में अहम भूमिका निभा सकता है।

अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा बलाक के छोल गांव निवासी हरश बहगुणा ने जिंदगी के बीस साल महानगरो में खपा देने के बाद कोरेना काल में गाव लौटने पर केसर की खेती शुरू की है। स्नातक की पढाई करने चाले हरीश को अर्बन गाईनंग व एप्रो बिजनेस का लंबा अनुभव था, लिहाजा काम शुरू करने में कोई। दिक्कत नहीं हुई। केसर की खेती के बारे में इटरनेट से जानकारी जुटाई। केसर के खिले फूलों ने हरीश को उत्साहित किया।

अब उदयोग विभाग भी उनके साथ जुड़ गया है। हरीश की प्रेरणा से चम्पावत। अल्मोड़ा व पौड़ी जिलों में भी उनके कई पशिचित केसर की खेती को शुरुआत कर चुके हैं। आने वाले वर्षी में इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं तो रेजगार के लिए शहर भागते युवाओं को गांव में ही बेहतर। विकल्प मिल सकता है। हरीश का। कहना है कि उततगंड में समेकित। य समावेशित खेती बेहतर विकल्प हो सकती है। डिजिटल ईंडिया ने विपणन के गस्ते सरल किए हैं।

अधिकारियों को परिणाम का इंतजार बागेश्वर जिले के कपकोट के लीती  गांव में तीन किसान प्राम्या के साथ मिलकर केसर की खेती शुरू कर चुके हैं। लीती के गोविंद सिंह ने एक नाली से अधिक जमीन में केसर के। बत्च (बीज) लगाए है।  प्राम्या  ने बीज उप्लबध कराए। ग्राम्या के ये परियोजन। प्र्दधक एलएस रावत का कहना है कि कुमाक की आबोहवा कश्मीर से मिटतीं है। संभावना है कि प्रयोग सकारात्मक परिणाम देगा ।प्रयोग सफल रहने पर अधिक ग्रामीणों के साथ मिलकर केसर की खेती शुरू कराई जाएगी।

केसर की रहती है ऊंची मांग। देश में केसर की अत्याधिक मांग है। दिल्ली की खारी वावली केसर की साबसे वडी मंडी बताई जाती है। जानकारों के अनुसार गुणवता केसार की कीमत तय करती हैं ।जो एक से दो लाख रपये किलो तक हो सकती है।व्यवनपाश, कास्मोटिक सामान व इम्युनिटी बद़ाने वाली दवाओं में केसर का उपयोग होता है। आयुर्वेद में कैसर को बहत उप्योगी बताया गया है। कशमीरी आफगानी वईरानी केसर की प्रमुख प्रजाति है।

अल्मोड़ा में कशमीरी केसर की महक विश्व के सवसे बेहतरीन गुणवता के कभमीरी केसार की खती अल्मोड़ा में शुरू हो गई है। कशमीर से अत्मोड़ा पहले केसर स्पोशिलस्ट विज्ञानी गोविद बत्लभ पंत, हिमालयी पर्यावरण विकास सस्थान और उद्यान विभांग के अधिकारियो की मौजुदगी में अत्मोड़ा के शीतलाखेत क्षेत्र में केसर के दत्या यानी बीज रोपे गए हैं । इसके लिए पिथोरागढ़ व बागेश्वर में भी कुछ किसानों का चयन किया गया है। प्रयास सफल रहा तो यह पहाड़ के लिए बेहतर विकल्प के रूप में हम सब के समक्ष होगा।

रानीखेत में केसर पर हो चुका शोघ उद्यान विभाग किसानो को केसर की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।इसी उद्देश्य से विभाग ने अल्मोड़ा जिले के रानीरखेत में तीन किरानो के सा मिलकर केसार की खेती का ट्रायल शुरू किय गया है। खनियां निवासी नारायण सिंह ने एक नाली जमींन पर केसर तगाया है। शुरुआती नतीजे काफी बेहतर है।

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