देहरादून। उत्तराखंड सरकार द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सेवानिवृत्ति के समय न्यूनतम एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने के ऐलान पर विवाद खड़ा हो गया है। जहां सरकार इस फैसले को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के हित में बता रही है, वहीं आंगनबाड़ी कर्मचारी संगठनों ने इसका कड़ा विरोध शुरू कर दिया है। संगठनों का कहना है कि यह योजना कार्यकर्ताओं पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालने वाली है।
सरकार ने घोषणा की है कि नए वित्तीय वर्ष से सेवानिवृत्त होने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को कम से कम एक लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। इसके लिए प्रत्येक कार्यकत्री से 300 रुपये प्रतिमाह का योगदान लिया जाएगा। कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या के अनुसार, वर्तमान में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को रिटायरमेंट के समय केवल 35 से 40 हजार रुपये की राशि मिलती थी, जिसे बढ़ाने के लिए विभाग लंबे समय से प्रयास कर रहा था। उन्होंने कहा कि इस योजना पर आंगनबाड़ी संगठनों की सहमति पहले ही प्राप्त कर ली गई है और यह व्यवस्था 1 अप्रैल से लागू होगी।
हालांकि, आंगनबाड़ी संगठन इस दावे को खारिज कर रहे हैं। संगठन की प्रदेश अध्यक्ष रेखा नेगी ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने इस योजना पर असहमति जताते हुए सरकार और विभाग को लिखित आपत्ति पत्र सौंप दिया है। इसके बावजूद विभाग द्वारा 300 रुपये प्रतिमाह कटौती के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
संगठन का कहना है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय पहले ही बेहद कम है और पहले से ही 100 रुपये की कटौती हो रही है। ऐसे में 300 रुपये की अतिरिक्त कटौती करना उनके लिए संभव नहीं है। संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि सहायता राशि को बढ़ाकर 10 लाख रुपये नहीं किया गया, तो वे 300 रुपये की कटौती किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेंगे। इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में आंदोलन तेज होने के संकेत दिए गए हैं।
