देहरादून। वर्ष 2010 में देश को झकझोर देने वाले अनुपमा हत्याकांड की छाया आज भी पीड़ित परिवार और बच्चों के जीवन पर साफ दिखाई देती है। इस जघन्य हत्याकांड के बाद अनुपमा और राजेश गुलाटी के जुड़वां बच्चों के मन में अपने पिता को लेकर जो कड़वाहट और दूरी बनी, वह हाल ही में नैनीताल हाईकोर्ट में उनकी गवाही के दौरान भी स्पष्ट रूप से सामने आई।

हाईकोर्ट के अधिवक्ता मोहिंदर बिष्ट के अनुसार, एक सुनवाई के दौरान जब जुड़वां बच्चे अदालत में पेश हुए तो न्यायालय ने उनसे उनके पिता और पिता के परिवार के बारे में पूछा। इस पर बच्चों ने साफ कहा कि उनकी अपने पिता से कभी कोई बातचीत नहीं हुई। यह बयान इस बात का संकेत है कि जिस तरह हाईकोर्ट ने राजेश गुलाटी को माफ नहीं किया, उसी तरह उसके बच्चों ने भी उसे स्वीकार नहीं किया है।

हालांकि, बच्चों के पिता के परिवार से रिश्तों की एक डोर अब भी जुड़ी हुई है। अनुपमा के भाई सुजान प्रधान ने बताया कि बच्चों की बुआ, जो दिल्ली में रहती हैं, उनसे उनकी कभी-कभार फोन पर बात होती है। सुजान के मुताबिक, पिछले वर्ष और इस वर्ष की गर्मियों की छुट्टियों में दोनों बच्चे उनके पास आकर रहे थे। पिछले साल वे स्वयं बच्चों को उनकी बुआ से मिलाने ले गए थे। उन्होंने बताया कि अनुपमा के जीवित रहते बुआ बच्चों से बेहद स्नेह करती थीं और वह लगाव आज भी बना हुआ है।

सुजान प्रधान पिछले 15 वर्षों से अपनी बहन अनुपमा के लिए न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने हमेशा यह प्रयास किया कि बच्चों को माता-पिता दोनों का प्यार मिले, ताकि वे इस कड़वे अतीत से उबर सकें।

गौरतलब है कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी ने 17 अक्तूबर 2010 की रात देहरादून के गोविंदगढ़ क्षेत्र में किराये के फ्लैट में पत्नी अनुपमा की गला दबाकर हत्या कर दी थी। इसके बाद उसने बाजार से आरी और डीप फ्रीजर खरीदा और शव के 72 टुकड़े कर 56 दिनों तक उन्हें फ्रीजर में छिपाकर रखा। इस निर्मम घटना ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था।