बद्रीनाथ धाम के श्री कपाट opening the doors of Badrinath Dham, the sacred oil urn reached Gadu Ghada Yoga Badri Pandukeshwar खुलने की तिथि को तय करने की वैदिक प्रक्रिया के तहत जोशीमठ के नरसिंह मंदिर से पूजा अर्चना के बाद पवित्र गाडू घड़ी कलश पांडु नगरी के योग बदरी पांडुकेश्वर मंदिर पहुंची,जहां बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के साथ सैकड़ों लोगों ने पवित्र गाडू घड़ी तेल कलश का स्वागत किया, धार्मिक रस्म के तहत जोशीमठ से योग बदरी पांडुकेश्वर पहुंचे इस पवित्र तेल कलश को नरसिंह मंदिर स्थित भंडार से डिमरी पंचायत के प्रतिनिधि को सौंपा गया, जहां से सभी मंदिरों के दर्शन पूजन के बाद यह पवित्र तेल कलश बीकेटीसी कर्मियों की अगुवाई में योग बदरी पांडुकेश्वर रवाना हुई मुख्य पुजारी बद्रीनाथ रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा यह पूजा संपन कराई गई, जहां से आज दिन में पूजा अर्चना और अन्य बारी दस्तूर निभाने के पश्चात यह पवित्र तेल कलश गाडू घड़ा जोशीमठ के नरसिंह मंदिर वापस रवाना हुआ, जहां भोग लगाने के बाद इस तेल कलश यात्रा लक्ष्मी नारायण मंदिर डिम्मर पहुंच गई,
14फरवरी बसंत पंचमी को यह तेल कलश टिहरी राजदरबार नरेंद्र नगर पहुंचेगा,जहां डिमरी पंचायत द्वारा इस पवित्र तेल कलश को राज दरबार में सौंपा जायेगा, जहां राज महल में सुहागिनों द्वारा तिल के तेल को पिरो कर इसी पवित्र घड़े में डाला जाएगा जिसे फिर कपाट खुलने के दिन श्री बद्रीनाथ धाम पहुचाया जाता है, बड़ी बात ये है की यही तिल का तेल भगवान बदरी विशाल जी के नित्य अभिषेक पूजन में काम आता है, 14फरवरी को ही टिहरी नरेश के दरबार नरेन्द्र नगर से राजदरबार के कुल पुरोहित विधि विधान से बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि निकालते है जिसकी घोषणा टिहरी नरेश द्वारा की जाती है, 14फरवरी2024 को ही विधि विधान से श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित की जाती है।
भू बैकुंठ धाम श्री बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू होने के तहत डिमरी समुदाय के पुरोहितों के सानिध्य में पवित्र गाडू घड़े को जोशीमठ नरसिंह मंदिर से योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर लाया गया जहां से आज पूजा अर्चना और विधि विधान के साथ आज इस पवित्र गाडू घड़ी को डिमर गांव के लक्ष्मी नारायण मंदिर ले जाया गया है। इससे पहले जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में भी पूजा अर्चना की गई। बता दें की बसंत पंचमी को इसी गाडू घड़े में टिहरी राजदरबार से तिल का तेल बदरीनाथ की पूजा अर्चना के लिए लाया जाता है जो कि कपाट खुलने के दिन पूजा के प्रयोग में लाया जाता है।
हिन्दुओं के सर्वोच्च तीर्थ के रूप में स्थापित भगवाण विष्णु की नगरी बैकुण्ठ धाम बद्रीनाथ के ग्रीष्मकालीन पूजापाठ के दौरान परम्परागत ढंग से बद्रीविशाल के लेप और अखण्ड ज्योति के लिए इस पवित्र तिल का तेल की प्रक्रिया और परम्परा सदियों पुरानी है जो कि आज भी निर्विधन रूप से निभाई जाती है।सदियों पुरानी परम्पराओं के अनुसार भगवान ब्रदीविशाल के लेप और अखण्ड ज्योति जलाने के लिए उपयोग होने वाला यह दिव्य तिल का तेल सदियों से नरेन्द्रनगर स्थित टिहरी राजमहल में महारानी के अगुवाई में बड़ी ही पवित्रता से राजपरिवार और डिमरी समाज की सुहागिन महिलाओं द्वारा निकाला जाता है।