देश में वोट चोरी को लेकर लगातार कांग्रेस देश में आवाज उठा रही है। कांग्रेस बीजेपी और चुनाव आयोज पर मिलीभगत कर वोट चोरी का आरो लगा रही है। इसको लेकर उत्तराखंड कांग्रेस अभियान चला रही है। कांग्रेस का कहना है कि उत्तराखंड में अब और वोट चोरी नहीं होने देंगे।
चुनाव आयोग और BJP की मिलीभगत से देश में हो रही वोट चोरी
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सीडब्लूसी सदस्य गुरदीप सप्पल का कहना है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को देशभर से लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि बड़े पैमाने पर पात्र नागरिकों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं और अपात्र लोगों के नाम जोड़कर सुनियोजित तरीके से वोट चोरी की जा रही है। कांग्रेस की जाँच में यह स्पष्ट हो गया कि यह कोई तकनीकी भूल नहीं, बल्कि लोकतंत्र को बंधक बनाने की संस्थागत साज़िश है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जब इस गंभीर घोटाले की शिकायत चुनाव आयोग से की, तो आयोग ने जाँच के बजाय शिकायतकर्ताओं पर सवाल उठाने शुरू कर दिए।
उत्तराखंड में अब नहीं होने देंगे वोट चोरी
संविधान ने चुनाव आयोग को जनता के अधिकारों की रक्षा और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी है। लेकिन आज आयोग का रवैया लोकतंत्र की रक्षा करने वाले संवैधानिक निकाय का नहीं, बल्कि सत्ता की कठपुतली जैसा है। श्री सप्पल ने कहा कि वोट चोरी को “नियमित प्रक्रिया” बताना न केवल बेशर्मी है, बल्कि जनता के अधिकारों पर सीधा डाका है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी स्पष्ट करना चाहती है कि यह अभियान केवल प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गाँधी के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्रीय आंदोलन का हिस्सा है। बिहार से लेकर उत्तराखंड और देश के हर कोने में कांग्रेस कार्यकर्ता जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। लोकतंत्र की हत्या करने वाली ताकतों के खिलाफ ये हमारी साझा लड़ाई है और हम इसे किसी भी कीमत पर वोट चोरी को सफल नहीं होने देंगे।
गुरदीप सप्पल ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के द्वारा वोट चोरी के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान के तहत, उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने “मेरा वोट – मेरा अधिकार” अभियान चलाया और राज्य के सभी 99 नगर निकायों में व्यापक जनसंपर्क और जनजागरण किया। लक्ष्य था कम से कम 2000 आरटीआई डालना, लेकिन जनता के अपार समर्थन से 2500 से अधिक आरटीआई कांग्रेस के पास उपलब्ध हैं। हजारों नागरिकों ने स्वतंत्र रूप से भी आरटीआई दायर की हैं। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद आयोग की तरफ से अब तक सिर्फ 136 जवाब आए हैं—वे भी टालमटोल और अस्पष्टता से भरे हुए। ये जनता को गुमराह करना और सूचना के अधिकार कानून का खुला उल्लंघन है। कांग्रेस इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी और कानूनी लड़ाई लड़ेगी।