नई दिल्ली: ब्लैकलिस्ट किए जाने के सात साल बाद एक व्यक्ति ने दूसरे नाम से पासपोर्ट बनाकर यूएई पहुंचने की कोशिश की, लेकिन एयरपोर्ट पर तकनीकी जांच के दौरान फर्जीवाड़ा सामने आ गया।

यूएई एयरपोर्ट अधिकारियों ने उसे तुरंत भारत निर्वासित कर दिया। आईजीआई एयरपोर्ट पहुंचने पर उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया, जहां फर्जीवाड़े के मामले में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस आरोपी यात्री से पूछताछ कर अन्य आरोपियों की पहचान करने में जुटी है।

जानकारी के अनुसार, सात अक्तूबर की देर रात पंजाब के जालंधर का रहने वाला सतनाम नाम का व्यक्ति यूएई से आईजीआई एयरपोर्ट पर आया। पासपोर्ट जांच में पता चला कि वह पहले यूएई में ब्लैकलिस्टेड था और वहां प्रवेश की अनुमति नहीं थी।

हालांकि दस्तावेजों में यह दिख रहा था कि उसने वहां पहले यात्रा नहीं की थी। शक होने पर इमिग्रेशन अधिकारियों ने सतनाम से पूछताछ की। पूछताछ में उसने खुलासा किया कि उसका असली नाम नसतार है।

सतनाम ने बताया कि उसने नसतार नाम से पासपोर्ट बनवाया था और यूएई गया था। वहां अवधि से अधिक रुकने के कारण उसे पकड़ लिया गया और बाद में ब्लैकलिस्ट किया गया। 2017 में वह इमरजेंसी सर्टिफिकेट पर वापस भारत आया था।

रोज़ी-रोटी के लिए वह दोबारा यूएई जाना चाहता था, लेकिन ब्लैकलिस्ट होने के कारण वीज़ा नहीं मिल पाया। इसके बाद उसने एजेंटों की मदद से सतनाम नाम से नया पासपोर्ट बनवाया और इसमें माता-पिता और पत्नी की जानकारी बदल दी।

पुलिस ने बताया कि पिछले पासपोर्ट को छुपाकर उसने नए पासपोर्ट के माध्यम से भारतीय इमिग्रेशन को धोखा देने की कोशिश की। आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस उपायुक्त विचित्र वीर ने घटना की पुष्टि करते हुए मामले की गहन जांच की बात कही।