देहरादून। विकासनगर के चर्चित मोती हत्याकांड में बुधवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नंदन सिंह की अदालत ने आरोपी नदीम और अहसान को दोषमुक्त करार दिया। दोनों आरोपी लगभग छह वर्ष आठ माह से जेल में बंद थे।
मामले की तहकीकात में अदालत ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट को अहम माना। रिपोर्ट के अनुसार मृतक मोती सिंह के सिर पर कोई चोट नहीं लगी थी। केवल गले और दायीं जांघ पर धारदार वस्तु से लगे गहरे चीरे के निशान मिले थे। इसी आधार पर अदालत ने अभियोजन पक्ष की कहानी को फेल करार दिया।
घटना 16 जनवरी 2019 की है। त्यूणी के झिटाड़ निवासी तारा सिंह ने पुलिस को बताया कि उनके बेटे मोती सिंह और संजय चौहान बाल कटवाने के लिए बाजार गए थे, लेकिन मोती वापस नहीं लौटा। उसके बाद संजय ने बताया कि मोती बाल कटाने गया था। पुलिस ने आरोप लगाया कि नदीम और अहसान ने मोती को अपहरण कर अमजद के निर्माणाधीन मकान में ले जाकर मार डाला।
अभियोजन ने दावा किया कि आरोपियों ने मोती के सिर पर ईंट से वार किया और उसे शक्तिनहर में फेंका। हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट, गवाह पहचान की प्रक्रिया में कमी और साक्ष्यों के अभाव के कारण अदालत ने आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया।
पुलिस दो माह तक शक्ति नहर में शव की तलाश करती रही। ड्रोन, सोनार और डाइविंग तकनीक का प्रयोग किया गया। शव अंततः 20 मार्च 2019 को आसन बैराज के गेट नंबर एक पर मिला। मामले में पुलिस की कहानी और आरोपपत्र पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
इस फैसले ने न्यायिक प्रक्रिया में सावधानी और साक्ष्यों के महत्व पर एक बार फिर जोर दिया।