ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने पहली बार कोर्ट में स्वीकार किया है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते हैं. इसी वैक्सीन को भारत में हम कोविशील्ड के नाम से जानते हैं. एस्ट्राजेनेका ने इस वैक्सीन को यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर तैयार किया था। वैक्सीन लेने के बाद मौत, ब्लड क्लॉटिंग और दूसरी गंभीर दिक्कतों के कारण एस्ट्राजेनेका कानूनी कार्रवाई का सामना कर रही है. कई परिवारों ने आरोप लगाया कि वैक्सीन के कारण गंभीर साइड इफेक्ट हुए हैं। जेमी को TTS (थ्रोम्बोसिस विथ थ्रोम्बोसायटोपीनिया सिन्ड्रोम) नाम का गंभीर साइड इफेक्ट हुआ. इससे लोगों के दिमाग में खून के थक्के (Blood clots) बन जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है।

रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका ने इस साल फरवरी में ही कोर्ट में डॉक्यूमेंट जमा किया. इसी में बताया कि इसकी कोविड वैक्सीन से कुछ मामलों में TTS हो सकता है. यूके हाई कोर्ट में कंपनी के खिलाफ 51 केस दर्ज हैं. पीड़ित परिवार वाले कंपनी से करीब 1000 करोड़ रुपये (100 मिलियन पाउंड) मुआवजे की मांग कर रहे हैं। इससे पहले, मई 2023 में एस्ट्राजेनेका ने कहा था कि वैक्सीन के कारण सामान्य तौर पर TTS होने की बात को वो नहीं स्वीकारता है. हालांकि अब कंपनी कह रही है कि कुछ दुर्लभ मामलों में ऐसा हो सकता है. और उसे नहीं पता कि ऐसा क्यों हुआ. कंपनी का ये भी कहना है कि वैक्सीन के बिना भी TTS हो सकता है।

पीड़ित परिवारों के वकील ने कोर्ट में दावा किया कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन “खराब” है और इसके प्रभाव को “काफी बढ़ा-चढ़ाकर” दिखाया गया है. हालांकि एस्ट्राजेनेका ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। जब एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन लगनी शुरू हुई थी, तब भी इसके साइड इफेक्ट्स को लेकर खूब विवाद हुआ था. हालांकि तब कंपनी ने कहा था कि ट्रायल के दौरान वैक्सीन के कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स देखने को नहीं मिले थे. कहा गया था कि वैक्सीन लगने के बाद थकान, गले में दर्द और हल्का बुखार जैसे लक्षण दिखे. लेकिन किसी की मौत या गंभीर बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया।

ब्रिटेन के हाईकोर्ट में पेश दस्तावेजों में एस्ट्राजेनेका ने साइड इफेक्ट्स की बात कबूल की है। हालांकि, वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट्स को स्वीकार करने के बाद भी कंपनी इससे होने वाली बीमारियों या बुरे प्रभावों के दावों का विरोध कर रही है। यह खबर भारत के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां कोविड-19 के प्रसार के दौरान बड़े पैमाने पर ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रोजेनेका की इसी वैक्सीन को कोविशील्ड के नाम से इस्तेमाल किया गया था। भारत में इस वैक्सीन का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने किया था. मार्केट में वैक्सीन आने से पहले ही SII ने एस्ट्राजेनेका के साथ समझौता किया था. सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है. भारत में करीब 80 फीसदी वैक्सीन डोज कोविशील्ड की ही लगाई गई है।

भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एस्ट्राजेनेका से हासिल लाइसेंस के तहत देश में इस वैक्सीन का उत्पादन किया था और इसे सिर्फ भारत के कोविड टीकाकरण अभियान में ही नहीं इस्तेमाल किया गया था, बल्कि दुनिया के कई देशों को निर्यात किया गया। कोविशील्ड के अलावा इस वैक्सीन को कई देशों में वैक्सजेवरिया ब्रांड नाम से भी बेचा गया था। एस्ट्राजेनेका पर यह मुकदमा जेमी स्कॉट ने दायर किया है, जो इस टीके को लेने के बाद ब्रेन डैमेज के शिकार हुए थे। कई परिवारों ने भी कोर्ट में इस टीके के दुष्प्रभावों की शिकायत की थी। कोर्ट पहुंचे शिकायतकर्ताओं ने शरीर को पहुंचे नुकसान के लिए कंपनी से क्षतिपूर्ति की मांग की है। खास बात यह है कि ब्रिटेन ने इस वैक्सीन पर अब सुरक्षा कारणों से रोक लगा दी है। कंपनी के इस स्वीकारोक्ति के बाद अब मुआवजा मांगने वालों की संख्या भी बढ़ सकती है।

भारत में भी शुरू हो सकते हैं मुकदमे

भारत में कोविड के बाद ऐसी मौतों की संख्या अत्यधिक बढ़ गई थी, जिनमें कारण का स्पष्ट पता नहीं चला था। इनमें से अधिकांश को किसी न किसी शारीरिक समस्या से जोड़ कर देखा गया और सरकार व स्वास्थ्य जगत ने यह कभी नहीं माना कि कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के कारण ऐसा हो सकता है। अब कंपनी की इस स्वीकारोक्ति के बाद भारत में भी मुकदमों का दौर शुरू होने की संभावना है।

खून का थक्का जमने की बीमारी का कारण बन सकते हैं कुछ टीके

चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. राजीव जयदेवन ने कहा है कि कुछ टीकों के इस्तेमाल के बाद दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) की स्थिति बन सकती है। उनका यह बयान फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका की ओर से अदालत के समक्ष इस स्वीकारोक्ति के बाद आया है कि उसकी ओर से विकिसत की गई कोविड वैक्सीन कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया कुछ मामलों में टीटीएस का कारण बन सकती है।

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