शंखनाद INDIA/ देहरादून-:  उत्तराखंड की जीरो टॉलरेंस की सरकार एक तरफ खोखले विकास के दावे का ढोल पीट रही है।वही शिक्षा विभाग में स्कूल ड्रेस न मिलने का मामला सामने आ रहा है।जहां एक तरफ उत्तराखंड और दिल्ली के स्कुलों की तूलना की बात हो रही है। वहीं आजकल उत्तराखंड के विद्यालयों में ड्रेस का मामला गरमाया हुआ है।एक तरफ दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया उत्तराखंड के मंत्री मदन कौशिक को चुनौती दे चुके हैं। वहीं आजकल नौनिहालों को स्कूल ड्रेस के मामले हलचल मची हुई है।

स्कूली बच्चों को नई ड्रेस मिली और नहीं धनराशि उत्तराखंड में प्रदेश के गरीब छः लाख छात्र छात्राओं को ड्रेस के लिए केंद्र और राज्य सरकार से जारी हो चुका था बजट लेकिन अभी तक बच्चों के लिए नई ड्रेस मिल पाई और नहीं धनराशि उत्तराखंड शिक्षा विभाग को छात्र छात्राओं को स्कूल ड्रेस के लिए प्रदेश और केंद्र सरकार से धनराशि मिली इसके बावजूद 6 लाख बच्चों को ड्रेस मिली इसके लिए उन्हें पैसा दे दिया गया यह हाल तब है कि जब वर्तमान शिक्षा 2020- 21 खत्म होने वाला है और 3 महीने बाद नया सत्र शुरू हो जाएगा समग्र शिक्षा अभियान के तहत बच्चों को हर साल में स्कूल ड्रेस की दी जाती है ड्रेस पर खर्च होने वाली धनराशि सरकार और मिलता है और 10% धनराशि अभियान के तहत अधिक की धनराशि जारी की जा चुकी है।

अफसरों की लापरवाही के कारण अब तक छात्र छात्राओं को दी गई और इसके लिए धनराशि दी गई नियमानुसार अप्रैल में या इनके खातों की धनराशि दी जा सकती थी यहां स्कूल में बच्चों को धनराशि दी जा सकती थी यही कुछ स्कूलों के प्रधानाध्यापकों का कहना है कि विभाग की ओर से इस तरह के निर्देश मिले हैं कि बच्चों को स्कूल ड्रेस की धनराशि को अग्रिम आदेशों तक खर्च ना किया जाए! मंत्री चाहते हैं किसी फर्म के माध्यम से ड्रेस दी जाए । विभाग के सूत्रों के मुताबिक शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे चाहते हैं कि बच्चों को दी जाने वाली स्कूल ड्रेस किसी फर्म के माध्यम से दी जाए इसके लिए विभाग में टेंडर की प्रक्रिया अपनाई जाए यही वजह है कि इस बार तक अब तक प्रदेश के लाखों बच्चों को स्कूल ड्रेस नहीं मिल पाई है वहीं इस मामले में शिक्षा मंत्री का जानने के लिए कि इनमें संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। आखिर कब तक उत्तराखंड में नौनिहालों को ड्रेस मिल पाएगा यह सवाल अभी भविष्य के गर्भ में है।

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