देहरादून। देहरादून में दुष्कर्म के दो अलग-अलग मामलों में अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। दोनों ही मामलों में पीड़िताओं और उनके परिजनों के अदालत में अपने पूर्व बयानों से मुकर जाने के कारण अभियोजन पक्ष अपना आरोप सिद्ध नहीं कर सका।

पहले मामले में विशेष सत्र न्यायालय (पॉक्सो) ने सौतेली बेटी के साथ दुष्कर्म और मारपीट के आरोप में आरोपी सौतेले पिता को बरी कर दिया। अभियोजन के अनुसार, फरवरी 2023 में सेलाकुई क्षेत्र निवासी एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसका दूसरा पति जुलाई 2020 से उसकी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म कर रहा है और विरोध करने पर मारपीट करता था। पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया।

हालांकि, अदालत में पीड़िता और उसकी मां अपने बयानों से मुकर गईं। पीड़िता ने कहा कि पिता नशे के आदी थे और घर में मारपीट होती थी, इसी कारण शिकायत की गई थी, लेकिन उसके साथ कभी गलत काम नहीं हुआ। पीड़िता की मां और बहन ने भी आरोपी के पक्ष में गवाही दी। अदालत ने टिप्पणी की कि आरोप प्रमाणित नहीं हो सके और आरोपी को बरी करने का आदेश दिया।

दूसरे मामले में देहरादून की एक अदालत ने भतीजी के साथ सात वर्षों तक दुष्कर्म के आरोप में सगे चाचा और धमकाने के आरोप में चाची को दोषमुक्त कर दिया। प्रेमनगर थाने में दर्ज मुकदमे में आरोप था कि 2014 से चाचा दुष्कर्म कर रहा था और चाची धमकाती थी। हालांकि, मुकदमे के दौरान पीड़िता की मां और बहन ने बचाव पक्ष में गवाही दी।

मां ने हलफनामा दायर कर कहा कि बेटी ने जमीन के लालच में झूठा केस किया है। मेडिकल जांच से इनकार और गवाहों के पलटने से अभियोजन कमजोर पड़ गया, जिसके चलते अदालत ने दोनों आरोपियों को बरी कर दिया।