देहरादून। नए वर्ष से उत्तराखंड में अन्य राज्यों से प्रवेश करने वाले वाहनों को ग्रीन सेस चुकाना होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को परिवहन विभाग को निर्देश दिए कि ग्रीन सेस की व्यवस्था को शीघ्र प्रभावी रूप से लागू किया जाए। सचिवालय में वित्तीय वर्ष 2025–26 की राजस्व प्राप्तियों की समीक्षा बैठक के दौरान सीएम ने पिछले दो वर्षों से योजना के प्रभावी क्रियान्वयन न होने पर परिवहन अधिकारियों के प्रति कड़ी नाराजगी जताई। अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि 01 जनवरी से यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि ग्रीन सेस योजना फरवरी 2024 में अधिसूचित की गई थी और दरों में संशोधन भी हुआ, लेकिन अब तक यह धरातल पर लागू नहीं हो सकी। इसके कारण राज्य को लगभग 100 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का अनुमान है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य के विकास के लिए अपने राजस्व संसाधनों को मजबूत करना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि खनन सुधारों से राज्य को 200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त प्राप्ति हुई है, जबकि वर्ष 2025–26 के लिए 24,015 करोड़ रुपये का कर लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
ग्रीन सेस के तहत भारी वाहनों पर एक्सेल के अनुसार 450 से 700 रुपये तक शुल्क लिया जाएगा। भारी निर्माण उपकरण वाहनों से 250 रुपये, 7.5 से 18.5 टन के वाहनों से 250 रुपये, 3 से 7.5 टन तक के हल्के माल वाहनों से 120 रुपये और तीन टन तक की डिलीवरी वैन से 80 रुपये वसूले जाएंगे। 12 सीट से अधिक की बसों पर 140 रुपये तथा मोटर कैब, मैक्सी कैब और पैसेंजर कारों पर 80 रुपये ग्रीन सेस तय किया गया है। एक बार दिया गया शुल्क पूरे दिन के लिए मान्य होगा, जबकि 20 गुना शुल्क पर तीन माह और 60 गुना शुल्क पर एक वर्ष की वैधता मिलेगी।
दो पहिया वाहन, सरकारी वाहन, ट्रैक्टर, एंबुलेंस, शव वाहन, फायर टेंडर, सेना के वाहन तथा इलेक्ट्रिक, सोलर, हाइब्रिड और सीएनजी से चलने वाले वाहनों को ग्रीन सेस से छूट दी गई है।
बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों से ग्रीन सेस की वसूली फास्टैग के माध्यम से की जाएगी। यूपी और हिमाचल सीमाओं पर 10 बॉर्डर चेक पोस्ट तैयार हैं, जबकि अन्य छह पर कार्य प्रगति पर है। सरकार को इससे सालाना करीब 50 करोड़ रुपये के राजस्व की उम्मीद है, जिसका उपयोग पर्यावरण संरक्षण और बुनियादी ढांचे के विकास में किया जाएगा।
