शंखनाद INDIA/खुशहाल सिंह कैंतुरा
भिलगंगा ब्लाॅक के बूढ़ाकेदार के सात गांवों पर आपदा का खतरा मंडरा रहा है। इन गांवों के ऊपर करीब 65 सौ फीट की ऊंचाई पर स्थित दो झीलें बन गई है, जो खतरा बनी हुई है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों ने झीलों का अध्ययन कर सुरक्षा के उपाय करने की मांग की है।भिलंगना का बूढा़केदार क्षेत्र आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील जोन में पड़ता है, जिसमें मारवाड़ी, निवालगांव, आगर, रक्षीया, थाती, कोटी, और अगुंडा गांव पूर्व से ही आपदाग्रस्त हैं।
वर्ष 2002 में बदल फटने से झील का पानी रिसने से इन गांवों को बहुत नुकसान पहुंचा हुआ था,जिसमें 28 लोगों की मौत हो गई थी। भूगर्भीय सर्वेक्षण ने उक्त गांवों को संवेदनशील बताते हुए विस्थापन की सिफारिश की थी। क्षेत्र में मारवाड़ी गांव के ऊपर स्थित मंज्याडताल और जरालताल भी उक्त गांवों के लिए भारी खतरा बने हुए हैं, इन तालों में हजारों गैलन पानी जमा है। बरसात में इन तालों का पानी ओवर फ्लो हो जाने के बाद गांवों की ओर बहकर आने से भूस्खलन होने लगता है। कभी ये ताल टूट गए तो सातों गावों को भारी नुकसान पहुंचेगा।
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