शंखनाद INDIA/
जम्मू-कश्मीर में विभिन्न गैर सरकारी संगठन सोसायटियों और मदरसों के दिन अब लदने जा रहे हैं। प्रदेश शासन ने करीब 600 संगठनों को अपनी फंडिंग का ब्योरा देने और पंजीकरण का नवीकरण कराने का नोटिस जारी किया है। निर्देश का पालन न करने पर संबधित संगठन का पंजीकरण रद्द करने के अलवा कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। कई मदरसों ने खुद का बतौर एनजीओ पंजीकरण करा रखा है । प्रदेश में कई एनजीओं और मदरसों का नाम आतंकी और अलगावादी संगठनों  के साथ भी जुड़ चुका है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने भी अक्टूबर 2020 मे कश्मीर में कुछ एनजीओ के दफ्तरों की तलाशी ली थी।
प्रदेश शासन ने कश्मीर संभाग के 446 सोसायर्टी, यूनियनों, और सगंठनों को 31 मार्च तक अपने चुनाव कराने, पंजीकरण का नवीनकरण कराने और लेखा परीक्षण के दस्तावेज जमा कराने के लिए कहा है।

दो संगठनों की फाइल गुम                                                                                                                                        जम्मू-कश्मीर महा प्रशासनिक विभाग द्वारा जारी सूची के मुताबिक, दो संगठनों मुस्लिम इस्लामी कमेटी धार बिलावर और एलओसी के साथ सटे जिला पुंछ के मेंढ़र में स्थित मदरसा इस्लामिया अरबिया की फाइल भी उपलब्ध नहीं है। इनमें से कइयों ने सिर्फ पंजीकरण के समय अपनी आय और खातों की जांच कराई थी, और कइयों ने दो या तीन साल पहले । अधिकतर ने लेखा बही खाता नहंीं सौंपा है।

तिब्बती मुस्लिमों का संगठन भी सूची में                                                                                                                     महा प्रशासनिक विभाग की और से तैयार की गई सूची मे जम्मू-कश्मीर के पूर्व प्रधानमंत्री बख्ती गुलाम मुहम्मद का नाम भी शामिल है। इसके अलावा कश्मीर में तिब्ब्त से आए मुस्लिम शरणार्थियों की एक एनजीओ द तिब्बतियन मुस्लिम रिफ्युजी वेलफेयर एसोसिएशन, ईदगाह श्रीनगर भी इसी सूची में है।

महा प्रशासनिक विभाग के आयुक्त सचिव मनोज द्विवेदी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर मे करीब एक हजार छोटी-बड़ी टेªड यूनियनें, एनजीओ, सोसायटियां, मजहबी संगठन व किसान और दस्तकार सगंठन है, जिन्होेंने विभिन्न विभागों केे समक्ष अपना पंजीकरण कराया है। सबसे ज्यादा पंजीकरण किसान, दस्तकार और फल उत्पादाकों के संगठनों के नाम वाले सगंठन है। कई संगठन केवल पंजीकरण के समय नजर आए या फिर समय पर अपने खातों की जांच का ब्योरा जमा नहीं कराया है। कईयों में आज तक पदाधिकारियों के चयन की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है कई संस्थाएं सिर्फ कागजों पर ही नजर आ रही है।