पंचायत चुनाव

उत्तराखंड में पंचायत चुनावों के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है और आज से नामांकन भी शुरू हो गए हैं। चुनावी शोरगुल गावों में हर ओर सुनाई देने लगा है। लेकिन क्या आप यकीन करेंगे की उत्तराखंड में ऐसा गांव भी हैं यहां प्रधान चुनने के लिए चुनाव ही नहीं होता।

इस गांव में प्रधान चुनने के लिए आज तक नहीं हुई वोटिंग

जहां एक ओर चुनाव में लाखों रुपए खर्च करने की प्रथा सी बन गई है तो वहीं उत्तराखंड में एक ऐसा भी गांव है जहां पर आजादी के बाद से अबतक प्रधान बनने के लिए किसी ने न चुनाव प्रचार किया और न ही चुनाव का सिंबल लिया है। हम बात कर रहे हैं टिहरी जिले के मुखमाल गांव की। जहां पर 1947 के बाद जितने भी चुनाव हुए है उनमे गाँव के बड़े बुजर्गो ने खुद ही सर्वसम्मति से अपना प्रधान या ये कहें की अपना नेता चुन लेते हैं।

वर्षों से चली आ रही निर्विरोध प्रधान चुनने की परंपरा

मुखमाल गांव में आजादी के बाद सन 1947 से गांव में अभी तक निर्विरोध प्रधान बनने की परंपरा वर्षों से चल रही है। गांव के लोगों को कहना है कि वो कई वर्षों से गांव में मीटिंग कर सर्व समिति से ग्राम प्रधान व वार्ड सदस्यों को निर्विरोध बना रहे हैं । जो कि और गांव के लिए मिसाल बन रहे हैं।

ऐसे चुना जाता है प्रधान

इन सर्वसम्मति से होने वाले चुनाव में होता ये है की चुनाव से पहले समाज और गाँव के सभी गणमान्य लोग एक साथ बैठते है फिर विचार ये किया जाता है की कौन गाँव में  गाँव की समस्या को अच्छे से समझ कर उनका निस्तारण क्र सकता है  कुछ बड़े बुजुर्ग पसंद के उमीदवार को माला पहना कर निर्विरोध  चुन लेते हैं।