सीएम धामी ने प्रदेश के युवाओं से आह्वान किया है। सीएम ने कहा कि हम देशहित को सर्वोपरि रखते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी निष्ठा, समर्पण और ईमानदारी से करें, साथ ही ये संकल्प लें कि हर संकट की घड़ी में हम एकजुट होकर राष्ट्र के साथ दृढ़ता से खड़े रहेंगे।

देशहित को सर्वोपरि रखने के लिए युवाओं से आव्हान

सीएम धामी शनिवार शाम को गुरू राम राय विश्वविद्यालय के वार्षिक समारोह “जेनिथ-25 फेस्ट” में शामिल हुए। इस दौरान सीएम ने छात्र-छात्राओं को संबोधित किया। सीएम ने कहा कि आज का रोजगार परिदृश्य तेज़ी से बदल रहा है, विभिन्न नवाचारों के कारण रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं और पुराने खत्म हो रहे हैं। इसके लिए हमें अपने युवाओं को “फ्यूचर-रेडी” बनाना होगा।

शिक्षा और संस्कार हैं बहुमूल्य उपहार

सीएम ने कहा कि शिक्षा और संस्कार मनुष्य के जीवन के दो सबसे बहुमूल्य उपहार हैं, जो न केवल उसकी सोच को आकार देते हैं, बल्कि जीवन की दिशा और दशा दोनों को बदलने का सामर्थ्य भी रखते हैं। यs दोनों गुण जिस व्यक्ति में विकसित हो जाते हैं, वो अपने परिवार का ही नहीं बल्कि समाज और राष्ट्र के काम भी आता है।

पीएम नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और सहयोग से हमारी सरकार प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में निरंतर सुधार करने का प्रयास कर रही है। शिक्षा के महत्व को ध्यान में रखकर हमारी सरकार ने त्वरित निर्णय लेते हुए देश में सर्वप्रथम “नई शिक्षा नीति” को लागू करने का कार्य किया। इस नीति द्वारा शिक्षा व्यवस्था को रोजगारोन्मुख और व्यावहारिक बनाने का प्रयास किया किया गया है।

उत्तराखंड है वीरों की भूमि

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें गर्व है कि हम उत्तराखंड की वीर भूमि से आते हैं जहां के हर परिवार से कोई न कोई सदस्य सेना में जरूर होता है, मैं स्वयं भी एक सैनिक का बेटा हूँ। आप सभी जानते हैं, पहलगाम में दुश्मन द्वारा किए गए कायराना आतंकी हमले का हमारी बहादुर सेना द्वारा मुँहतोड़ जवाब दिया है। जब-जब भारत माता ने अपने सपूतों को पुकारा है, देवभूमि उत्तराखंड के वीरों ने लहू देकर मातृभूमि की रक्षा करने का कार्य किया है।

आप में से कई लोगों के परिवारजन भी भारतीय सेना में सेवा दे रहे होंगे, कोई बर्फ से ढके दुर्गम पोस्ट पर डटा होगा, तो कोई तपते रेगिस्तान में माँ भारती की रक्षा कर रहा होगा। परंतु हमें भी अपने-अपने स्थानों पर रहते हुए, एक सैनिक की भांति सजगता, समर्पण और सेवा-भावना को अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा। क्योंकि राष्ट्र की एकता और अखंडता की रक्षा केवल सीमाओं पर रहकर ही नहीं होती बल्कि हमारे विचारों और कर्मों से भी प्रदर्शित होती है।