शंखनाद INDIA/नई दिल्ली
राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को शून्यकाल में देश के प्रिंट मीडिया न्यूज ब्राॅडकास्टर्स व न्यूज चैनल के भारी संकट के दौर से गुजरने का मुद्दा  उठाया। उन्होंने कहा, कि मीडिया घराने समाचार संकलन करने, उसकी सच्चाई का पता लगाने और लोगों तक सटीक जानकारी देने के लिए पत्रकारों, रिपोटर्स, एंकर्स, कैमरामैन, आफिस आदि पर अरबों रूपये खर्च करते है। इनकी आमदनी का मुख्य स्रोत विज्ञापन है, लेकिन हाल के वर्षों मे यूट्यूब, फेसबुक, गूगल जैसी कम्पनियों के पास विज्ञापन का बड़ा हिस्सा चला जाता है, ये मीडिया के बनाए न्यूज कंटेंट को अपने प्लेटफाॅर्म पर डिस्प्ले कर इसमें विज्ञापन के माध्यम से पैसा कमाते हैं।
सुशील मोदी ने शून्य काल के दौरान कहा, कि यह बिना खर्च किए दूसरे के बानाए न्यूज कंटेंट को अपने प्लेटफाॅर्म पर दिखलाकर पैसा कमा रहे हैं और परम्परागत मीडिया विज्ञापन की आय से वंचित हो रहा हैं। ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने न्यूज मीडिया बारगेनिंग कोड कानून बनाकर गूगल को रेवेन्यू शेयरिंग के लिए बाध्य किया हैं।  भारत सरकार ने सोशल मीडिया के दुरूपयोग को रोकने के लिए इंटरमीडियरी रूल्स नोटिफाई किया है। विज्ञापन के रेवेन्यू शेयरिंग के लिए भी कानून बनाना चाहिए।


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