लोग अब इंसानों से ज्यादा चैटबाट पर कर रहे भरोसा
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई की लोकप्रियता आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ने वाली है। एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है। जिस तरह से टेक कंपनियां एआई में निवेश कर रही हैं, कुछ सालों में हमारी दुनिया के पैरेलल एक और वर्चुअल दुनिया क्रिएट हो जाएगी। इंसान और मशीन आपस में और बेहतर तरीके से इंटरेक्ट करने लगेंगे।एआई हमारी जिंदगी का हिस्सा बनता जा रहा है। हम अपने दिनचर्या में एआई को शामिल करते जा रहे हैं। खास तौर पर पिछले दो सालों में चैटजीपीटी, गूगल बार्ड (अब जेमिनी), माइक्रोसाफ्रट को-पायलट, बिंग एआई जैसे आर्टिपिफशियल इंटेलिजेंस टूल की तरपफ युवाओं और इंडस्ट्री का रूख रहा है। भारत में भी एआई टूल लोकप्रिय हो रहे हैं। भारतीय अब इंसानों से ज्यादा एआई पर भरोसा करने लगे हैं।

हाल में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक 57 प्रतिशत भारतीय अपनी समस्याओं के लिए इंसानों से ज्यादा एआई इनेबल्ड चैटबाट से बात करना पसंद करते हैं। वहीं ग्लोबली केवल 39 प्रतिशत लोग ही एआई चैटबाट को ज्यादा पसंद करते हैं। एशिया पेसिपिफक यूजर्स की बात करें तो करीब 48 प्रतिशत एशियन यूजर्स एआई इनेबल्ड चैटबाट से इंटरेक्ट करना चाहते हैं।साफ्रटवेयर और आईटी टूल बनाने वाली कंपनी अडोबी (।कवइम) द्वारा किए गए इस सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है। अडोबी का यह सर्वे ह्यूमन इंटरेक्शन यानी इंसानी बातचीत और डिसीजन मेकिंग, कस्टमर सपोर्ट, प्रोडक्ट रिटर्न या कैंसिलेशन के लिए किया गया था।

हालांकि इस सर्वे में भाग लेने वाले 39 प्रतिशत यूजर्स का मानना है कि वो इंसान और एआई इनेबल्ड चैटबाट दोनों को अपने इन कामों के लिए प्रेफर करेंगे। खासतौर पर जब उन्हें कोई नया प्रोडक्ट चुनना हो या फिर उसके लिए जानकारी प्राप्त करना हो।पिछले 12 महीनों में 53 प्रतिशत भारतीय ब्रांड्स ने अपनी जेनरेटिव एआई की क्षमताओं को बेहतर बनाने की कोशिश की है। वहीं करीब 76 प्रतिशत भारतीय ब्रांड्स ने अपने कस्टमर सपोर्ट के लिए एआई साल्यूशन को इंप्लीमेंट कर लिया है या करने वाले हैं। अडोबी का यह सर्वे भारत में एआई की बढ़ती लोकप्रियता और उपयोगिता की तरफ इशारा कर रही है। हालांकि यह सब एकदम से नहीं हुआ है। इसमें एक दशक से ज्यादा का समय लगा है।

ऐसा नहीं है कि एआई टूल से कोई गलती नहीं होती है और वह सभी काम परफेक्टली कर देते हैं। पिछले सप्ताह जेनरेटिव एआई से जुड़ा एक विवाद भी सामने आया है, जिसमें दुनिया की बड़ी टेक कंपनी गूगल को माफी मांगनी पड़ी है। गूगल के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल जेमिनी एआई द्वारा ऐतिहासिक तस्वीरों से छेड़छाड़ की गई तस्वीर को रिजल्ट में दिखाया गया था, जिसके बाद गूगल ने माफी मांगते हुए इसे और बेहतर बनाने की बात कही है। कंपनी ने अपने ब्लाग पोस्ट में बताया कि उसके ऐप को जल्द ही फिक्स किया जाएगा। कंपनी ने इस टूल के जरिए इंसानों की नई इमेज क्रिएशन को ब्लाक कर दिया है।

गूगल जेमिनी एआई एक कन्वर्सेशनल एआई ऐप है, जो ओपनएआई के चैटजीपीटी की तरह काम करता है और इंसानों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दे सकता है। जेमिनी एआई में आई इस दिक्कत की वजह से गूगल पर इन्वेस्टर समेत कई चीजों का भारी दबाब है। गूगल कई सालों से एआई लैंग्वेज माड्यूल पर काम कर रहा था। ऐसा लग रहा है चैटजीपीटी के आने के बाद गूगल को जल्दबाजी में अपना एआई टूल बार्ड लान्च करना पड़ा। गूगल ने पिछले दिनों ही बार्ड का नाम बदलकर जेमिनी एआई कर दिया है।

गूगल जेमिनी द्वारा नाजी योद्वाओं की गलत इमेज जारी करना सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर मजाक का विषय बन गया है। कई यूजर्स ने गूगल का मजाक उड़ाते हुए कमेंट भी किए हैं। गूगल का मजाक उड़ाने वालों में कई नामी-गिरामी हस्तियां शामिल हैं, जिनमें एलन मस्क का भी नाम आता है। एलन मस्क ओपन एआई के फाउंडिंग टीम में मुख्य सदस्य रह चुके हैं और एआई में उनकी जबरदस्त रूचि है। मस्क भी इन दिनों अपने एआई लैंग्वेज और प्रोग्राम पर काम कर रहे हैं। जल्द ही बाजार में मस्क का भी एआई टूल आ सकता है। इसके अलावा वो ह्यूमनायड रोबोट ओप्टिमस को भी दिनों-दिन इंप्रूव कर रहे हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की लोकप्रियता आने वाले दिनों में ज्यादा बढ़ने वाली है

एआई को भविष्य में और बेहतर करने के लिए 6जी का साथ मिलने वाला है। इस नेक्स्ट जेनरेशन कम्युनिकेशन टेक्नोलाजी को भी एआई के आधार पर डेवलप किया जा रहा है। मौजूदा 5जी सर्विस के जरिए डिवाइस के साथ इंटरेक्ट किया जा सकता है। नेक्स्ट जेनरेशन में वर्चुअल वर्ल्ड को फिजिकल वर्ल्ड के साथ जोड़ा जा सकेगा। इंसानों के फिजिकल वर्ल्ड और मशीनों के वर्चुअल वर्ल्ड से कम्युनिकेट करने में 6जी मददगार साबित हो सकता है। नोकिया, एरिक्शन, हुआवे जैसी टेक्नोलाजी कंपनियां इस पर अभी काम कर रही हैं।