UTTARAKHAND NEWS

उत्तराखंड में प्रतिभा और प्रतिभा वानों की कमी नहीं है. जंग का मैदान हो या खेल का मैदान, उत्तराखंड के बेटों और बेटियों नेजीत का परचम लहाराया है देवभूमि का नाम रोशन किया है. वहीं जब खिलाड़ी पदक मेडल जीतकर लाते हैं तो सरकार उन्हें सम्मानित करती है और कुछ धनराशि भी इनाम में देती है। शहीद और प्रदेश का नाम रोशन करने वालों के नामसे सड़क स्कूलों का नाम रखती है। लेकिन अगर सरकार देश और राज्य का नाम रोशनकरने और अपने आपको न्यौछावर करने वालों का नाम ही भूल जाएं तो कितनी शर्मनाक बात है।

UTTARAKHAND NEWS,Padam Bahadur Mall Block

जी हां जो ये आप ऊपर तस्वीर देख रहे हैं वो दिल्ली के खेल गांव की है. इस खेल गांव में एक ब्लॉक का नाम उत्तराखंड के मुक्केबाज पदम बहादुर मल्ल के नाम पर ऱखा गया है है. भारत के सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाजों में गिने जाने वाले पदम बहादुर मल्ल को सम्मान देने के लिये इस ब्लॉक का नाम रखा गया है लेकिन बहादुर का ये कैसा सम्मान है कि उसका नाम ही गलत लिखा है।

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आपको बता दें कि मुक्केबाद पदम बहादुर का पूरा नाम पदम बहादुर मल्ल है लेकिन बोर्ड में पदम बहादुर मॉल ब्लॉक लिखा है। सरकार की ये लापरवाही दिल तोड़ने वाली और शर्मनाक है जो की राज्य देश का नाम रोशन करने वाले उम्दा खिलाड़ी का नाम तक भूल गए। आप देख सकते हैं कि मोटे अक्षरों में लिखा गया पदम बहादुर मॉल ब्लॉक. इससे साफ पता चलता है कि सरकारें सम्मान के लिये नहीं बल्कि महज खानापूर्ति के लिये बोर्ड बनावाती है.

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आपको बता दें कि भारतीय मुक्केबाजी के इतिहास के पन्नों में पदम बहादुर मल्ल का नाम दर्ज है। एशियन गेम्स में बेस्ट बाक्सर का खिताब जीतने वाले आज तक वो ही एकमात्र भारतीय हैं. साइंटिफिक बाक्सिंग का जनक पदम बहादुर मल्ल को ही माना जाता है.1953 में 1/8 गोरखा रायफल में भर्ती हुये पदम बहादुर मल्ल. जकार्ता में हुए 1962 में एशियन गेम्स में भारत के मुक्केबाजों से कोई उम्मीद नहीं थी।सबने अपनी हार पक्की मान ली थी लेकिन जब जकार्ता में एशियन गेम्स खत्म हुए तो बेस्ट बाक्सिंग प्लेयर का खिताब एक भारतीय को मिला.  पदम बहादुर मल्ल 60 किग्रा भार वर्ग से खेले. पदम बहादुर मल्ल भारत के लिये बाक्सिंग में पहला गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी हैं. पदम बहादुर मल्ल सन 1959 से 1963 तक लगातार चार साल राष्ट्रीय चैम्पियन रहे.

पदम बहादुर मल्ल सन 1984 में आर्मी से बतौर ऑनरी कैप्टन रिटायर हुए थे. उन्होंने कई सालों तक बॉक्सिंग की ट्रेनिंग भी दी।  74 साल की उम्र तक पदम बहादुर मल्ल बाक्सिंग की राष्ट्रीय चयन समिति के सदस्य भी रहे. उनको अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया था।. इतना ही नहीं साल 2013 में उत्तराखंड सरकार ने पदम बहादुर मल्ल को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के लिये चुना था।हमे उम्मीद है कि उत्तराखंड सरकार इस गलती को ठीक करनेकी अपील अनुरोध जरुर करेगी. ताकि हमारे बहादुर जवानों का और खिलाड़ियों का ऐसा अपमान ना हो.

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