स्वाभिमान मोर्चा

धराली आपदा को लेकर उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने सवाल उठाए हैं। भटवाड़ी ब्लॉक के धराली में आई विनाशकारी आपदा के बाद, मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष बॉबी पंवार, उपाध्यक्ष त्रिभुवन चौहान और सैनिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कर्नल कैलाश देवरानी सहित मोर्चा की टीम ने पैदल कई किलोमीटर का सफर तय कर प्रभावित क्षेत्र तक पहुंचने में सफलता पाई। धराली तक पहुंचने वाले सड़क मार्ग बारिश में बह गए थे और बचे-खुचे रास्तों को भी शासन-प्रशासन ने बंद करवा दिया था।

उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने धराली आपदा पर पूछे सवाल

स्वाभिमान मोर्चा का कहना है कि इस आपदा कवरेज में क्षेत्रीय पत्रकारों को धराली से दूर रखा गया। ताकि सच्चाई जनता तक न पहुंचे। राष्ट्रीय मीडिया को विशेष सुविधाएं, यहां तक कि चॉपर की व्यवस्था दी गई, लेकिन क्षेत्रीय मुद्दों को उठाने वाले पत्रकारों को रोका गया।

लोगों के घर मलबे में तब्दील हो गए, जीवन बिखर गया, और सरकार शुरुवाती दौर में मात्र ₹5000 की राहत राशि लेकर पहुंची। स्वाभिमान मोर्चा द्वारा किए गए विरोध के बाद राशि को बढ़ाया गया।

आपदा प्रबंधन पर उठाए सवाल

त्रिभुवन चौहान ने बताया कि “हमने पैदल चलकर धराली की मिट्टी में दर्द महसूस किया। आपदा में चयनित 3 IAS ऑफिसर में कौन मौजूद है धरातल पर पता करें। वहां के लोगों ने हमसे सिर्फ मदद नहीं मांगी, उन्होंने इंसानियत मांगी, जो उन्हें शासन-प्रशासन से नहीं मिली। सबसे बड़ा एक लाख का बजट बनाने वाली धामी सरकार इतनी लाचार हो गई कि अनुदान मांगना पड़ रहा हो, अगर सच्चाई इतनी कड़वी है कि सरकार उसे छुपाना चाहती है, तो हमारी जिम्मेदारी है कि हम उसे जनता तक पहुंचाएं।”

सैनिक प्रकोष्ठ अध्यक्ष कर्नल कैलाश देवरानी ने कहा कि एक सैनिक के लिए यह सिर्फ राहत अभियान नहीं था, यह कर्तव्य था। हमारी टीम ने जोखिम उठाकर धराली पहुंचकर लोगों को सहारा दिया। पर सच यह है कि हालात किसी भी आधिकारिक बयान से कई गुना बदत्तर थे।