उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के लिए पलायान एक गंभीर समस्या है। उत्तराखंड में रोज़गार की कमी, राज्य में पलायन का सबसे बड़ा कारण आंका गया था, जिसके कारण बड़ी संख्या में युवाएं राज्य से बाहर जा रहे थे। जिसे रोकने के लिए राज्य सरकार ने रोजगार सृजन करने वाली योजनाओं को लागू किया। जिनसे बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार से जुड़ने का मौका मिला है। यही कारण है कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल उत्तराखंड ने छह माह में रोजगार सृजन में 28 प्रतिशत ग्रोथ दर्ज की है। इन आंकड़ों के साथ उत्तराखंड देश में दूसरे नंबर पर आ गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस उपलब्धि पर युवा शक्ति को बधाई दी।

बता दें कि बिजनस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार 2023 के पहले छह महीनों में औपचारिक रोजगार सृजन में वृद्धि के मामले में असम 33 प्रतिशत बढ़ोतरी दर के साथ पहले स्थान पर है। इसी लिस्ट में 28.6 प्रतिशत के साथ उत्तराखंड दूसरा स्थान हासिल करने में कामयाब रहा है। वहीं, बिहार 21.1 प्रतिशत के साथ तीसरे और झारखंड ने 20.5 प्रतिशत की दर के साथ चौथे और हिमाचल 17.1 प्रतिशत की दर हालिस कर पांचवां स्थान बनाया है।

भविष्य निधि संगठन (EPFO) पेरोल डेटा के अनुसार कर्मचारियों की सेलरी पर किए गए विश्लेषण के अनुसार, 24 प्रमुख राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 21 में शुद्ध पेरोल वृद्धि की दर भी बढ़ी है। पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 2023 के पहले छह महीनों में उच्च रोजगार सृजन और कार्यबल का फॉर्मलाइजेशन हुआ।

सीएम धामी ने इस उपलब्धि पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देवभूमि उत्तराखंड रोजगार सृजन के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। हम सभी प्रधानमंत्री के कथन के अनुसार 21वीं सदी के तीसरे दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने के लिए कार्यरत हैं।

 

रोजगार सृजन बढ़ोतरी में शीर्ष पांच राज्य

राज्य             बढ़ोतरी प्रतिशत दर

असम                    33

उत्तराखंड             28.6

बिहार                  21.1

झारखंड              20.5

हिमाचल              17.1

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