लंबे इंतजार के बाद उत्तराखण्ड भाजपा को जल्द ही नया अध्यक्ष मिलने जा रहा है। उत्तराखंड भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर अब अंदरूनी खींचतान तेज हो गई है। केंद्रीय नेतृत्व ने इस प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए केंद्रीय मंत्री और ईस्ट दिल्ली से सांसद हर्ष मल्होत्रा को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया है।
यह नियुक्ति ऐसे वक्त में की गई है जब प्रदेश भाजपा संगठन में बदलाव को लेकर गहरी राजनीतिक हलचल है और विभिन्न गुटों की लॉबिंग खुलकर सामने आ रही है।
भाजपा सूत्रों की मानें तो प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में कई नाम सामने हैं, जिनमें वर्तमान मुख्यमंत्री के करीबी, संघ के पसंदीदा चेहरों, और संगठन में लंबे समय से सक्रिय नेताओं के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व “2027 मिशन” को ध्यान में रखते हुए ऐसा चेहरा सामने लाना चाहता है जो संगठन में मजबूती के साथ-साथ कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने में सक्षम हो।
हालांकि, राज्यसभा सदस्य व प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को एक और मौका देने की भी बात उठ रही है। लेकिन बीते दिनों पूर्व मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल से जुड़े मसलों पर भट्ट का भी नाम उछलने से उनके नंबर कम बताए जा रहे हैं।
महेंद्र भट्ट गढ़वाल से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में नया अध्यक्ष गढ़वाल-कुमाऊं से हो या मैदानी इलाके से, यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
भाजपा के प्रदेश चुनाव अधिकारी खजान दास ने बताया कि अब तक बूथ, मंडल और जिला स्तर पर चुनावी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, और केंद्रीय चुनाव अधिकारी हर्ष मल्होत्रा प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के आठ सदस्यों के चयन की प्रक्रिया को संपन्न कराएंगे। लेकिन जानकार मानते हैं कि यह नियुक्ति केवल एक औपचारिकता भर नहीं है। बल्कि केंद्रीय नेतृत्व की यह कोशिश है कि प्रदेश में चल रही आपसी रस्साकशी को संतुलित करते हुए किसी सर्वमान्य चेहरे पर सहमति बनाई जाए।
गौरतलब है कि मौजूदा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कार्यकाल लगभग पूरा हो चुका है और उनके प्रदर्शन को लेकर भी संगठन के भीतर मतभेद उभरते रहे हैं। वहीं, एक खेमे की कोशिश है कि किसी युवा और तेजतर्रार चेहरे को कमान सौंपी जाए, जबकि दूसरा खेमा पुराने और संगठन में अनुभवी नेता को वरीयता देने की वकालत कर रहा है।
दिलचस्प बात यह है कि हर्ष मल्होत्रा के साथ ही भाजपा ने महाराष्ट्र में केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू और पश्चिम बंगाल में डॉ. रविशंकर प्रसाद को चुनाव पर्यवेक्षक बनाया है, जो यह दिखाता है कि पार्टी नेतृत्व संगठनात्मक चुनावों को इस बार बेहद गंभीरता से ले रहा है।

सूत्रों की मानें तो देहरादून में अगले दो-तीन दिनों के भीतर गहन बैठकें होंगी और केंद्रीय पर्यवेक्षक संगठन के वरिष्ठ नेताओं, मुख्यमंत्री, सांसदों और अन्य प्रमुख नेताओं से अलग-अलग रायशुमारी करेंगे। इसके बाद 1 जुलाई तक नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा की जाएगी।
फिलहाल भाजपा कार्यकर्ता और नेता सभी दिल्ली की निगाहों की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं । यह देखने के लिए कि अगली कमान किसके हाथ में दी जाएगी।