देहरादून। उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने आगामी वित्तीय वर्ष के लिए बिजली दरों में करीब 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव नियामक आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है। आयोग अब प्रस्ताव का विस्तृत अध्ययन करने के बाद जनसुनवाई करेगा, जिसके उपरांत टैरिफ पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। नई दरें अगले वर्ष 1 अप्रैल से लागू होने की संभावना है।
यूपीसीएल ने अपने प्रस्ताव में बताया कि पिछले नौ वर्षों में हुए खर्चों और वित्तीय अंतर को पूरा करने के लिए यह बढ़ोतरी आवश्यक है। कंपनी ने कुल 2000 करोड़ रुपये के राजस्व अंतर (गैप) को भरने की मांग की है। साथ ही वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2024-25 तक के कार्यों के पूंजीकरण के मद्देनज़र 976 करोड़ रुपये की राशि शामिल करते हुए ट्रू-अप में कुल 1343 करोड़ रुपये की मांग की गई है।
इस प्रस्ताव के साथ ऊर्जा निगमों की याचिकाओं पर नियामक आयोग जल्द जनसुनवाई आयोजित करेगा, जिसके बाद उपभोक्ताओं पर संभावित बिजली दर वृद्धि का असर स्पष्ट होगा।
तबादला नीति लागू, क्षेत्रों को सुगम व दुर्गम में बांटा
यूपीसीएल ने नई तबादला नीति भी लागू कर दी है। इसके तहत देहरादून (चकराता को छोड़कर), हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल, भीमताल, कालाढूंगी, हल्द्वानी ब्लॉक, रामनगर ब्लॉक, कोटद्वार, दुगड्डा, टनकपुर, बनबसा, मुनिकीरेती और नरेंद्रनगर को सुगम क्षेत्र घोषित किया गया है।
वहीं उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, चंपावत का शेष क्षेत्र, चकराता, टिहरी और नैनीताल का कुछ हिस्सा दुर्गम श्रेणी में रखा गया है। नई नीति के अनुसार, अधिकारियों व कर्मचारियों को दुर्गम क्षेत्रों में कम से कम तीन तैनातियां यानी न्यूनतम आठ वर्ष की सेवा देनी अनिवार्य होगी।
यह कदम संगठनात्मक पारदर्शिता और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
