उत्तराखंड पुलिस अपने कार्यशैली को लेकर विवादों में घिरती नजर आ रही है। पौड़ी में पत्रकार की गिरफ्तारी के बाद देहरादून में मामला सामने आया। पीड़ित का मुकदमा दर्ज न करने पर पुलिस अधिकारी पर फटकार लगाई है।मित्र पुलिस को उत्तराखंड के लोग नाराज़ और आहत हैं। पीड़ित परिवार को अनसुना करना पुलिस के लिए मंहगा साबित हुई। न्याय को लेकर उत्तराखंड के सामाजिक संगठनों ने उत्तराखंड के डीजीपी अभिनव कुमार से मुलाकात की थी।

डीजीपी अभिनव कुमार एक चैनल को दिए इंटरव्यू में साफ कहते दिखाई दे रहे हैं न्याय के लिए हम कटिबद्ध हैं। लेकिन दुसरी तरफ इनके अधिकारी अपने डीजीपी के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए नजर आ रहे हैं। न्याय के लिए लोगों को पुलिस पर भरोसा नहीं हो रहा। न्याय के लिए लोग पुलिस चौकियों में दर दर भटक रहे हैं। मामला देहरादून से लेकर श्रीनगर तक भी दुसरा मामला सामने आया है।आनन फानन में देर रात को कोतवाल को हटाया गया है।

पुलिस ने सांठगांठ कर पीड़ित की बजाय आरोपियों की शिकायत दर्ज की

सहारनपुर चौक स्थिति खदरी मोहल्ला में दबंगों ने पहले तो अपने पड़ोसियों से मारपीट की और बाद में पुलिस से सांठगांठ कर पीड़ित पर ही मुकदमें की कारवाई करवा दी। जबकि पुलिस पीड़ित परिवार की शिकायत को अनसुना कर दिया। पीड़ित हताश होकर न्यायालय की शरण में गए तो वहां उन्हें निराश नहीं होना पड़ा। अदालत ने एसएचओ को आरोपियों पर मुकदमा दर्ज कर कारवाई के आदेश दिए।

पीड़ित महिला खदरी मोहल्ले की निवासी है। उसका आरोप है कि उसके पडोस में रहने वाला उनके चचिया ससुर का लड़का राजेशउनके प्रति गन्दी नियत रखता है। महिला अपनी रिश्तेदारी से रात करीब दस बजे वापस आयी। आरोप है कि जब वह अपने कमरे में कपडे बदल रही थी आरोप है कि तब राजेश कश्यप व उसका पुत्र अर्चित अपने मोबाइल से उसकी वीडियो बनाने लगे। विरोध करने पर उन्होंने गाली गलौज की और पीड़िता के परिवार पर लाठी डंडों से हमला कर दिया।

इस घटना के बाद पीड़िता के परिवार ने अपना मेडिकल कराकर एक लिखित शिकायत पुलिस चौकी लक्ष्मण चौक कोतवाली नगर में दी। लेकिन चौकी प्रभारी नीरज त्यागी ने आरोपियों से क्रास रिपोर्ट लिखवा ली। चौकी प्रभारी ने पीड़िता पर दबाव बनाया कि मेरे अनुसार नहीं लिखा तो वह शिकायत की रिसीविंग नहीं देंगे।

न्यायालय ने अपने आदेश से पुलिस को दिखाया आईना

जब पाड़िता ने चौकी प्रभारी का विरोध किया तो उसने आरोपियों से सांठगांठ करके पीड़िता एवं उसके परिवार के सदस्यों के विरूद्व कोतवाली में अं0/धारा 147, 324, 452 भा0दं0सं0 के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज कर दिया। इससे आरोपियों के हौसले बंलन्द हो गए और उन्होंने पीड़िता के घर में आकर गालियां और जान से मारने की धमकी देने लगे। पीड़िता की भतीजी काजल ने पुलिस कंट्रोल रूम पर झगड़े की सूचना दी। इसके बावजूद पुलिस ने आरोपियों की शिकायत दर्ज की। लेकिन पीड़िता की शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं की।

इससे क्षुब्द होकर पीड़िता ने घटना के सम्बन्ध में थाना कोतवाली व पुलिस महानिदेशक देहरादून को शिकायत प्रेषित की। कोई कारवाई न होने पर पीड़िता ने अदालत की शरण ली। इसपर अदालत ने मामले को गंभीर मानते हुए पीड़िता का प्रार्थना पत्र स्वीकार कर एसएचओ कोतवाली को आदेशित किया कि मामले में विपक्षीगण के विरूद्व अं0/धारा 323, 504, 506, 354 भा0दं0सं0, 1860 के तहत मुकदमा दर्ज कर नियमानुसार अन्वेषण कर आख्या विधिक समयार्न्तगत न्यायालय में प्रस्तुत करना सुनिश्चित करे।

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