रुद्रप्रयाग। विश्व के सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में शुमार तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट गुरुवार को शीतकाल के लिए विधि-विधानपूर्वक बंद कर दिए गए। इस अवसर पर 500 से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने। इस वर्ष करीब डेढ़ लाख तीर्थयात्रियों ने भगवान तुंगनाथ के दर्शन किए।
बीकेटीसी (बदरी-केदार मंदिर समिति) के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल की उपस्थिति में सुबह साढ़े दस बजे कपाट बंद करने की प्रक्रिया आरंभ हुई। भोग यज्ञ और हवन पूजा के बाद भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप दिया गया। ठीक सुबह 11.30 बजे मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।
कपाट बंद होने के पश्चात भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह डोली अपने प्रथम पड़ाव चोपता के लिए रवाना हुई। इसके बाद डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कू गांव पहुंचेगी, जहां आने वाले छह माह तक भगवान तुंगनाथ की पूजा-अर्चना होगी। श्रद्धालुओं ने “हर हर महादेव” के जयघोष के साथ भावभीनी विदाई दी।
