एक देश, एक चुनाव को लेकर भारत सरकार के स्तर पर गठित संयुक्त संसदीय समिति दो दिवसीय उत्तराखंड दौरे पर थी। इस दौरान समिति ने प्रदेश में सभी राजनीतिक दलों से लेकर लोक कलाकारों से इस बारे में सुझाव लिए। जिसके बाद उत्तराखंड को एक विस्तृत रिपोर्ट बनाकर समिति को देनी है।
एक देश, एक चुनाव पर छह महीने में रिपोर्ट देंगे राज्य
एक देश, एक चुनाव पर भारत सरकार के स्तर पर गठित संयुक्त संसदीय समिति ने उत्तराखंड समेत सभी राज्यों से एक साथ चुनाव के नफा-नुकसान पर विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा है। राज्यों से अपेक्षा की गई है कि वे छह महीने के भीतर यह रिपोर्ट समिति को सौंप देंगे। समिति ने जोर देते हुए कहा है कि यह मुद्दा देश हित का है। इसलिए जो भी फैसला आने वाले दिनों में किया जाएगा, उसमें देशहित ही सर्वोपरि रहेगा।
एक देश, एक चुनाव के लिए समिति ले रही फीडबैक
संपूर्ण देश में एक साथ चुनाव कराने के संबंध में संविधान (129 वां संशोधन) विधेयक 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून(संशोधन) विधेयक 2024 पर फीडबैक लेने के लिए संयुक्त संसदीय समिति की बैठक का सिलसिला 21 मई को शुरू हुआ था। कई चरणों में आयोजित दो दिनी बैठक का बृहस्पतिवार को समापन हो गया। समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने दो दिन के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि समिति ने अभी तक महाराष्ट्र और उत्तराखंड राज्य से एक देश एक चुनाव पर फीडबैक लिया है।
1967 तक देश में एक साथ होते थे चुनाव
साल 1967 तक लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे। मगर इसके बाद सर्कल बिगड़ गया। वर्ष 1994 से एक साथ चुनाव के लिए कोशिशें हुईं थीं, लेकिन ये परवान नहीं चढ़ पाईं। उन्होंने कहा कि इस वक्त फिर से चुनाव व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के लिए ये कवायद की जा रही है। समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी का कहना है कि अगर एक साथ चुनाव होने शुरू हो गए तो, अर्थव्यवस्था को पांच लाख करोड़ का लाभ पहुंचेगा।