डिजिटल टेक्नोलॉजी ने जहां हमारी ज़िंदगी को आसान बनाया है, वहीं इसने ठगों के लिए नए रास्ते भी खोल दिए हैं। अब ठगी केवल सड़क या फोन कॉल तक सीमित नहीं रही — यह आपके स्मार्टफोन, सोशल मीडिया, बैंकिंग ऐप्स और यहां तक कि आपके ईमेल इनबॉक्स तक पहुंच चुकी है। साइबर अपराधी अब हाईटेक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं जैसे कि फेक वेबसाइट्स, फर्जी ऐप्स, स्कैमी UPI लिंक, और डाटा चोरी के ज़रिए लोगों को निशाना बना रहे हैं।

भारत में ऑनलाइन फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और इसकी सबसे बड़ी वजह है — डिजिटल जागरूकता की कमी और ठगों द्वारा AI और डिजिटल तकनीक का शातिर इस्तेमाल। हाल ही में नवी मुंबई की एक 46 वर्षीय महिला के साथ हुई ठगी ने इस खतरे को और स्पष्ट किया। उसे सोशल मीडिया के ज़रिए एक व्यक्ति ने संपर्क किया और खुद को विदेश में रहने वाला एक दोस्त बताया, जो उसे महंगा गिफ्ट भेज रहा था। कुछ ही समय बाद एक और कॉल आया — इस बार एक नकली “कस्टम अधिकारी” ने महिला को बताया कि गिफ्ट क्लियर करने के लिए उसे भारी कस्टम ड्यूटी और टैक्स भरना होगा। महिला ने कई बार में मिलाकर करीब ₹49.59 लाख अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए।

तकनीकी में माहिर होते जा रहे ठग

यह ठगी सिर्फ भावनाओं से खेलने की नहीं थी — इसमें AI-जनरेटेड फेक प्रोफाइल्स, WhatsApp कॉल्स, और फर्जी दस्तावेजों की मदद से महिला को पूरी तरह यकीन दिलाया गया कि सामने वाला व्यक्ति असली है। यह मामला यह दिखाता है कि जैसे-जैसे ठग तकनीक में माहिर होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे आम लोग उनके जाल में और तेज़ी से फँसते जा रहे हैं।  भारत में ऑनलाइन फ्रॉड के आँकड़े भी चिंताजनक हैं। 2023 में लगभग 11 लाख वित्तीय साइबर फ्रॉड के मामले दर्ज किए गए, जिनमें से उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक, लगभग 2 लाख मामले थे । इसके अलावा, 2024 में डिजिटल फ्रॉड के मामलों में 4 गुना वृद्धि हुई, जिससे लगभग ₹177 करोड़ का नुकसान हुआ । यह आँकड़े यह दर्शाते हैं कि डिजिटल तकनीक की बढ़ती पहुँच के साथ-साथ ठगों के तरीके भी और जटिल होते जा रहे हैं। डिजिटल दुनिया में कदम रखते समय सिर्फ सुविधाएं नहीं बढ़तीं, जिम्मेदारियां भी बढ़ती हैं। आज जब हर चीज़ मोबाइल और इंटरनेट पर सुलभ है, वहीं साइबर अपराधी भी हर उस चूक का इंतज़ार करते हैं जो हम अनजाने में कर बैठते हैं। ऐसे में सबसे ज़रूरी है कि हम खुद को डिजिटल रूप से सशक्त और सतर्क बनाएं। किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले सोचें, OTP या बैंक की जानकारी किसी से साझा न करें, और हमेशा दो-स्तरीय सुरक्षा (2FA) का इस्तेमाल करें।

इन हेल्पलाइन का लें सहारा

अगर आप किसी ऑनलाइन ठगी का शिकार बन जाएं, तो घबराएं नहीं — तुरंत राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या www.cybercrime.gov.in पर जाकर रिपोर्ट दर्ज करें। आपकी एक त्वरित शिकायत कई और लोगों को ठगे जाने से बचा सकती है।

स्मार्ट बनिए, सतर्क रहिए, और साइबर अपराधियों से दो कदम आगे चलिए। जागरूकता ही इस डिजिटल युग की सबसे बड़ी ढाल है।