उत्तराखंड के श्रीनगर से करीब 14 किलोमीटर की दूरी उत्तराखंड की रक्षक देवी धारी देवी का मंदिर स्थि है। ऐसा कहा जाता है कि यहां हर दिन एक चमत्कार होता है। दरअसल इस मंदिर में मौजूद माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। मूर्ति सुबह में एक कन्या की तरह दिखती है, फिर दोपहर में युवती और शाम को एक बूढ़ी महिला की तरह नजर आती है। जिसे देख हर कोई हैरान हो जाता है।
उत्तराखंड की रक्षक देवी मां धारी देवी का धाम है खास
धारी देवी मंदिर पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है मां धारी को उत्तराखंड के चारों धामों की रक्षक देवी भी कहा जाता है और इन्हें देवी काली का अवतार माना जाता है। मान्यता है कि ये मंदिर हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णित 108 शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर में देवता देवी की एक स्वयंभू मूर्ति है, जो एक पत्थर से उभरी देवी के ऊपरी आधे हिस्से के रूप में है। खास बात ये है कि मां धारी का मंदिर अलकनंदा नदी के बीचों-बीच बना है। मान्यताओं के अनुसार धारी देवी के इस मन्दिर का इतिहास 300 हजार वर्ष पुराना है।
मां की मूर्ति को हटाने से आ गई थी आपदा
कहते हैं कि मां धारी के मंदिर को साल 2013 में तोड़ दिया गया था और उनकी मूर्ति को उनके मूल स्थान से हटा दिया गया था, इसी वजह से उस साल उत्तराखंड में भयानक बाढ़ आई थी, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे। माना जाता है कि धारा देवी की प्रतिमा को 16 जून 2013 की शाम को हटाया गया था और उसके कुछ ही घंटों बाद राज्य में आपदा आई थी।
मां के दर्शन के बिना पूरी नहीं होती चारधाम यात्रा
बाद में उसी जगह पर फिर से मंदिर का निर्माण कराया गया। नवरात्रों में यहां खासी भीड़ देखने को मिलती है। लेकिन सालभर भी चारधाम यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं का भी यहां तांता लगा रहता है। ऐसा कहा जाता है कि चारधाम यात्रा का आशीर्वाद तब तक नहीं मिलता जब तक मां धारी के दर्शन ना किए जाएं। इसलिए चारधाम यात्री यहां पर आकर मां के दर्शन जरूर करते हैं।