उत्तराखंड के शिक्षण संस्थानों में गरीब और अल्पसंख्यक छात्रों के हक में चल रही छात्रवृत्ति योजना में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (NSP) के माध्यम से वितरित की जाने वाली छात्रवृत्ति में भारी गड़बड़ी पाई गई है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि राज्य के 92 मदरसों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छात्रवृत्ति की राशि हड़प ली। इस घोटाले ने प्रदेश में शिक्षा के नाम पर चल रही लूट-खसोट की परतें उधेड़ कर रख दी हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने दिए SIT जांच के निर्देश
छात्रवृत्ति घोटाले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तुरंत विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। उन्होंने साफ कहा,गरीब छात्रों के लिए चलाई जा रही छात्रवृत्ति योजना में किसी भी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।” मुख्यमंत्री के अनुसार यह मामला केवल आर्थिक भ्रष्टाचार का नहीं,बल्कि शिक्षा और सामाजिक न्याय के साथ खिलवाड़ का है।
मदरसों की भूमिका संदिग्ध, मदरसा बोर्ड ने किया समर्थन
रिपोर्ट्स के अनुसार घोटाले में सबसे अधिक मदरसों की संलिप्तता पाई गई है। कई मदरसों ने छात्रों के नाम और दस्तावेजों की फर्जी प्रविष्टियां करवा कर स्कॉलरशिप राशि अपने खाते में डलवाई। जांच में कई ऐसे संस्थान भी सामने आए हैं, जहां कागज़ों में दर्ज छात्र वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं हैं।
हालांकि, उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती समूह कासमी ने SIT जांच का स्वागत करते हुए कहा, “अगर कोई भी मदरसा दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और सही संस्थानों की छवि सुधरेगी।”
घोटाले का असर: छात्रवृत्तियां रुकीं, छात्र निराश
यह पहला मौका नहीं है जब उत्तराखंड में स्कॉलरशिप वितरण में गड़बड़ी सामने आई हो। इससे पहले भी करोड़ों रुपए के घोटाले हो चुके हैं, जिससे वास्तविक हकदार छात्रों को नुकसान उठाना पड़ा। फीस न भर पाने और पढ़ाई अधूरी रह जाने की वजह से सैकड़ों छात्रों का भविष्य प्रभावित हुआ है।