नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सरोवरनगरी में 12 वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी सरकारी ठेकेदार उस्मान खान के घर को तोड़े जाने की कार्रवाई पर मानवीय आधार पर अस्थायी रोक लगा दी है। अदालत ने यह राहत कड़ाके की ठंड को देखते हुए फिलहाल दी है। न्यायालय ने जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) को निर्देश दिए हैं कि वह इस मामले में पांच जनवरी तक अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करे।
यह आदेश आरोपी की पत्नी हुस्त बेगम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। याचिका में कहा गया कि उस्मान खान वर्तमान में जेल में बंद है और डीडीए ने तीन दिन के भीतर मकान खाली करने का नोटिस जारी किया है, ताकि मकान को ध्वस्त किया जा सके। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत में तर्क दिया कि उसी क्षेत्र में कई अन्य मकान भी अवैध रूप से बने हैं, लेकिन कार्रवाई केवल उसी घर के खिलाफ की जा रही है, जो भेदभावपूर्ण है।
वहीं, डीडीए की ओर से अदालत को बताया गया कि अतिक्रमण के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई की जा रही है और इस प्रक्रिया में उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पूर्ण पालन किया गया है। प्राधिकरण ने कहा कि संबंधित भूमि वन क्षेत्र में आती है और आरोपी को पहले ही नोटिस जारी किया जा चुका था। उसे अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया गया, लेकिन वह मकान से जुड़े किसी भी वैध दस्तावेज को प्रस्तुत नहीं कर सका। यहां तक कि आयुक्त के समक्ष दायर अपील भी खारिज हो चुकी है।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने सर्दी के मौसम को ध्यान में रखते हुए मकान तोड़ने की कार्रवाई पर मौखिक रूप से रोक लगा दी। उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल को सरोवरनगरी में 12 वर्षीय बच्ची के यौन शोषण का मामला सामने आया था। आरोप है कि 71 वर्षीय ठेकेदार उस्मान खान ने पैसे का लालच देकर बच्ची का यौन शोषण किया। आरोपी तभी से न्यायिक हिरासत में है।
