mohit dimri:
केदारनाथ में हेलीकॉप्टर क्रैश होने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पूर्व भी इस तरह की चार बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इन सभी दुर्घटनाओं का सिर्फ एक ही कारण था खराब मौसम। खराब मौसम के बावजूद केदारघाटी में जिस तरह से एविएशन कंपनियां बेतरतीब उड़ानें भर रहे थे, उससे यही संभावना जताई जा रही थी कि कभी भी कोई बड़ी घटना हो सकती है। आज यह संभावना सच साबित हुई और हेलीकॉप्टर क्रैश होने से पायलट सहित सात लोगों की मौत हो गई।
अथॉरिटी और कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ़ दर्ज हो मुक़दमा
दरअसल, केदारनाथ के लिए गुप्तकाशी, फाटा, शेरसी सहित अन्य स्थानों से नौ एविएशन कंपनियां हेली सेवा दे रही हैं। इन सभी कंपनियों के हेलीकॉप्टर उड़ाने के लिए रुट निर्धारित हैं। अधिकतर हेलीकॉप्टर ईंधन और समय बचाने के लिए ऊंचाई मेंटेन नहीं करते हैं और गौरीकुंड-केदारनाथ के बीच संकरी घाटी के बीचों-बीच से होकर गुजरते हैं। रामबाड़ा के ऊपर गरुड़चट्टी-केदारनाथ के बीच घाटी से तेजी से धुंध (फॉग) ऊपर के लिए उठती है और अचानक जीरो विजिबिलिटी हो जाती है। चंद कदम पर कुछ भी नहीं दिखाई देता है। इस तरह का मौसम यहां अक्सर बना रहता है। हर पल में मौसम अपना रंग बदलता है। किसी समय तेज बारिश, किसी समय बर्फ़बारी तो कभी अचानक उठती सफेद धुंध। यहां के मौसम का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है। आज हुए हेलीकॉप्टर क्रैश का सबसे बड़ा कारण अचानक घाटी से उठी धुंध (फॉग) ही थी। जीरो विजिबिलिटी के कारण पायलट ने इमरजेंसी लैंडिंग की कोशिश की और हेलीकॉप्टर पहाड़ से जा टकराया और उसके दो टुकड़े हो गए। ठीक इसी तरह का एक हादसा वर्ष 2013 में गरुड़चट्टी के समीप ही हुआ था, जिसमें पायलट सहित दो लोगों की मौत हुई थी। उस समय भी अचानक धुंध उठने से विजिबिलिटी शून्य हो गई और हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
रामबाड़ा-केदारनाथ के बीच संकरी घाटी में अचानक उठती है धुंध
केदारनाथ आपदा के दौरान रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटा वायुसेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर को भी इसी तरह के खराब मौसम के चलते हादसे का शिकार होना पड़ा था। जिसमें करीब 23 लोगों की मौत हुई थी। इसके अलावा भी छिटपुट घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। अब केदारनाथ में हवा के दबाव के चलते हेलीकॉप्टरों का अनियंत्रित होना आम बात सी हो गई है। आपको याद होगा, इसी वर्ष 31 मई को थंबी एविएशन का हेलीकॉप्टर केदारनाथ हेलीपैड पर लैंडिंग के दौरान अनियंत्रित हो गया था और उसने 270 डिग्री तक घूमते हुए हार्ड लैंडिंग की थी।
भारी बारिश और धुंध के बावजूद उड़ते हैं हेलीकॉप्टर
आज हुई घटना के लिए एविएशन कंपनी पूरी तरह जिम्मेदार है। ख़राब मौसम के बावजूद कंपनी को हेलीकॉप्टर नहीं उड़ाना चाहिए था। इस घटना के लिए संबंधित ऑथोरिटी और कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ़ मुक़दमा दर्ज होना चाहिए। मैं अक्सर देखता था कि आर्यन एविएशन शाम को छह बजे बाद भी उड़ान भरता था। तेज बारिश और हवा के बावजूद भी इसकी शटल सेवा बंद नहीं होती थी। अन्य कंपनियां भी मुनाफ़ा कमाने के लिए नियमों को ताक पर रखकर सेवाएं दे रही हैं। इस पर शासन-प्रशासन गंभीर नहीं है। अगर गम्भीरता होती तो हवाई सेवाओं की सुरक्षा को लेकर गाइडलाइंस तय होती और उस पर अमल होता।
अभी तक की बड़ी दुर्घटनाएं ख़राब मौसम के कारण ही हुई है। यह सब होने के बावजूद विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले इस क्षेत्र में सुरक्षित हवाई सेवा को लेकर पुख़्ता इंतज़ामात नहीं किए गए हैं। केदारनाथ में हवा की दिशा और दबाव की जानकरी के लिए अभी तक एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) रूम तक स्थापित नहीं किया गया है। एटीसी को लेकर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) और उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) कभी संवेदनशील नहीं रहा। अन्य सुरक्षा मानकों को लेकर भी आज तक डीजीसीए और यूकाडा गंभीर नजर नहीं आया। इसी कारण हवाई दुर्घटनाएं हो रही हैं। भविष्य में इस तरह के हादसे न हो, इसके लिए सरकार को सुरक्षा मानकों पर विशेष ध्यान देते हुए जिम्मेदार अथॉरिटीज की जवाबदेही तय करनी चाहिए।

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