पट्टी तल्लानागपुर का सीमान्त क्षेत्र घिमतोली राज्य गठन के 24 वर्षो बाद भी विकास से कोसो दूर है । घिमतोली क्षेत्र को प्रकृति ने अपने वैभवो का भरपूर दुलार देने के कारण घिमतोली क्षेत्र मे तीर्थाटन – पर्यटन की अपार सम्भावनाये है मगर सरकारी हुक्मरानो की अनदेखी के कारण क्षेत्र हमेशा उपेक्षित रहा है । स्थानीय जनता द्वारा घिमतोली क्षेत्र मे विकासखंड मुख्यालय खोलने की मांग 80 के दशक से की जा रही मगर शासन – प्रशासन स्तर से ग्रामीणो को समय – समय पर कोरे आश्वासन ही मिले है ।

घिमतोली क्षेत्र मे वर्ष 1952 मे बना जिला पंचायत का डाक बंगला भी विभागीय अनदेखी के कारण आवारा पशुओ का आशियाना बना हुआ है । यदि पर्यटन विभाग की पहल पर प्रदेश सरकार कोटखाल – कार्तिक स्वामी , घिमतोली – नैणी देवी तथा जिला पंचायत के गौचर – जागतोली- घिमतोली – गणेशनगर दशको पूर्व बने पैदल ट्रेको को विकसित करने तथा 1952 मे बने जिला पंचायत के डाक बंगले को पर्यटक आवास गृह के रूप मे विकसित करने की पहली करती है तो घिमतोली क्षेत्र को पर्यटन मानचित्र पर विशिष्ट पहचान मिलने के साथ पैदल ट्रेको का समुचित विकास होने के अलावा सीमान्त क्षेत्र मे होम स्टे योजना को भी बढ़ावा मिलेगा ।

2005 तक तल्लानागपुर का घिमतोली क्षेत्र दशज्यूला के साथ तल्ला कालीफाट के कई दर्जनो गांवो का केन्द्र बिन्दु हुआ करता था । घिमतोली क्षेत्र कभी वन विभाग ,स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग ,उद्यान विभाग सहित कई विभागो का केन्द्र बिन्दु रहा तथा सभी विभागो ने घिमतोली क्षेत्र के सर्वांगीण विकास मे महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । 2005 के बाद विभिन्न क्षेत्रो मे विभिन्न मोटर मार्गो का निर्माण होने तथा अन्य स्थानो पर शिक्षा के केन्द्र खुलने से घिमतोली क्षेत्र धीरे – धीरे विकास से मीलो दूर खिसकता गया तथा युगो से गुलजार रहने वाली घिमतोली की हसीन वादियां वर्तमान समय मे वीरान है । घिमतोली क्षेत्र की जनता 80 के दशक से घिमतोली मे विकासखंड खोलने की मांग करती आ रही है मगर चुनाव के समय ग्रामीणो को कोरे आश्वासन देकर इतिश्री की जाती है ।

जिला पंचायत द्वारा वर्ष 1952 मे बने डाक बंगले के रख – रखाव पर समय – समय पर लाखो रूपये व्यय तो किये जाते है मगर लाखो रूपये व्यय होने के बाद डाक बंगले की देखरेख न होने से डाक बंगला आवारा पशुओ का आशियाना बनता जा रहा है । स्थानीय व्यापारी उमेद सिंह नेगी ने बताया की कुदरत ने घिमतोली क्षेत्र को नव नवेली दुल्हन की तरह सजाया है मगर शासन- प्रशासन की अनदेखी के कारण घिमतोली विकास के लिए मोहताज बना हुआ है । स्थानीय व्यापारी मनवर सिह का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार कोटखाल – कार्तिक स्वामी तथा घिमतोली – नैणी देवी पैदल ट्रेको को विकसित करने की कवायद करती है तो घिमतोली क्षेत्र मे तीर्थाटन- पर्यटन गतिविधियो को बढ़ावा मिल सकता है ।

लक्ष्मण सिंह नेगी