पूनम चौधरी शंखनाद इंडिया देहरादून:

उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून से एक बड़ी खबर सामने आ रही है कि ट्रैफिक रूल्स हमारी सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं, लेकिन दुख की बात तो यह कि लोग आज तक इनका पालन करना नहीं सीख पाए। नशा और रफ्तार का जुनून सड़क हादसों की वजह बन रहा है। इन्हें रोकने के लिए अब उत्तराखंड का पुलिस विभाग चलाएगा। इसकी मदद से पुलिस तेज रफ्तार व नशे में वाहन चलाने वालों पर कड़ी नजर रखेगी। रफ्तार पर लगाम लगाने के लिए बाइक को मोडिफाई कर स्मार्ट बनाया जाएगा। अभियान के लिए मोटर साइकिल खरीदी जा रही हैं। इंटरसेप्टर वाली बाइक को विशेष तरीके से बनाया जा रहा है।

आपको बता दें कि पुलिस अपने अभियान की शुरुआत चार मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर व नैनीताल से करेगी। यहां आपको टू-व्हीलर इंटरसेप्टर के बारे में भी जानना चाहिए। पुलिस ने इस टू-व्हीलर के लिए जो मॉडल तैयार किया है उसके अनुसार पुलिस मोटर साइकिल खरीद कर इन्हें फिर टू-व्हीलर इंटरसेप्टर के रूप में ढालेगी। इस बाइक के अगले भाग पर हाई स्पीड डिटेक्शन कैमरा लगाया जाएगा। इसमें पुलिस लाइट भी होगी। उपकरण रखने के लिए मोटरसाइकिल के पीछे एक बॉक्स लगाया जाएगा। मोटरसाइकिल की सीट के बाएं तरफ एक और बॉक्स लगाया जाएगा, जिसमें प्रिंटर व अन्य उपकरण रखे जाएंगे। निदेशक यातायात मुख्तार मोहसिन ने बताया कि शुरुआत में आठ इंटरसेप्टर तैयार किए जा रहे हैं।

शुरू में ऐसे किया जाएगा काम­-

आपको यह बता दें कि हर जिले में शुरू में दो-दो इंटरसेप्टर दिए जाएंगे। यह प्रयोग सफल होने पर इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी और अन्य जिलों में भी इन्हें तैनात किया जाएगा। अब उत्तराखंड में होने वाले सड़क हादसों का आंकड़ा भी जान लीजिए। बीते वर्ष प्रदेश में 1405 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं। इनमें 820 व्यक्तियों की मृत्यु हुई थी। इस साल के शुरुआती चार महीने यानी अप्रैल तक 517 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 318 व्यक्तियों ने जान गंवाई। प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार व शासन ने पुलिस व परिवहन विभाग को सड़क सुरक्षा और यातायात के नियमों का अनुपालन कराने को उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे। तब पुलिस ने टू-व्हीलर इंटरसेप्टर बनाने का प्रस्ताव राज्य स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति के सामने रखा था।

कुछ समय पहले मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू की अध्यक्षता में हुई बैठक में सड़क सुरक्षा कोष से पुलिस को उपकरण व वाहन उपलब्ध कराने के लिए साढ़े सात करोड़ रुपये देने का निर्णय लिया गया था। इस धनराशि में ही टू-व्हीलर इंटरसेप्टर की लागत भी शामिल है।

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