जोशीमठ के बाद अब कर्णप्रयाग (Karanprayag) ने भी चिंता बढ़ा दी है। दरअसल यहां जोशीमठ जैसी स्थिति नहीं है, लेकिन विभिन्न कारणों से शहर के एक हिस्से में भवनों को क्षति पहुंची है। अभी तक ऐसे 48 भवन चिह्नित किए जा चुके हैं, जिनमें दरारें आई हैं। (Karanprayag) पंचप्रयाग में से एक कर्णप्रयाग (Karanprayag) भी बदरीनाथ यात्रा का दूसरा मुख्य पड़ाव है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कर्णप्रयाग (Karanprayag) का विस्तृत भूगर्भीय सर्वेक्षण कराने के निर्देश दिए हैं। आइआइटी रुड़की और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण को जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी है। कर्णप्रयाग चमोली के जोशीमठ शहर से 82 किलोमीटर दूर है।

गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी अलकनंदा और पिंडर के संगम तट पर बसे इस शहर को पंचप्रयाग में शामिल होने का गौरव प्राप्त है। बहुगुणानगर और आइटीआई क्षेत्र में भवनों को अलग-अलग कारणों से नुकसान हो रहा है। यहां 22 घरों को क्षति पहुंची है। 48 ऐसे घर चिह्नित किए जा चुके हैं, जिनमें दरारें पड़ी हैं। यहां भवनों को पहुंची क्षति और दरारें पड़ने के भिन्न-भिन्न कारण हैं। कुछ घरों को पूर्व में सड़क निर्माण के दौरान क्षति पहुंची तो कुछ को अतिवृष्टि से। अलकनंदा और पिंडर नदियों से हो रहे भूकटाव को भी कारण माना जा रहा है।

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