शंखनाद INDIA/ नई दिल्ली

राजधानी दिल्ली मे लेफ्टिनेंट गवर्नर और मुख्यमंत्री के अधिकरों को स्पष्ट करने वाले विधेयक को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है। इस बिल में दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) की कुछ भूमिकाओं और अधिकारों को परिभाषित किया गया है। इसको लेकर सियासत गर्मा गई है। राज्यसभा ने गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ  दिल्ली (संशोधन) विधेयक 2021  को विपक्ष के हंगामे के बीच मंजूरी दे दी। और लोकसभा इस बिल को पहले ही पास कर चुकी है। अब राष्ट्रपति के दस्तखत के साथ ही यह बिल कानून बन जाएगा।

दरअसल दिल्ली में एलजी बनाम मुख्यमंत्री की जंग बहुत पुरानी हैं। यहां तक कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों के जरिए, एलजी और दिल्ली सरकार की भूमिकाओं और अधिकार क्षेत्र को स्पष्ट किया। अब केंद्र सरकार की दलील है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में जो भावना है, उसे लागू करने के लिए ही वह गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली ऐक्ट में संशोधन लाई है। बिल में प्रावधान है कि राज्य कैबिनेट या सरकार किसी भी फैसले को लागू करने से पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर की राय लेगी। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने इसे लोकतंत्र का काला काला दिवस बताया है।