मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में उत्तराखंड के मैदानी जिलों में बाढ़ व जलभराव की स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए 30 जून को देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल और चम्पावत में मॉक ड्रिल की जाएगी। इसकी तैयारियों की समीक्षा के लिए राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में टेबल टॉप एक्सरसाइज आयोजित की गई, जिसमें सभी रेखीय विभागों की भागीदारी रही।इस दौरान जिलावार संभावित परिदृश्यों पर चर्चा हुई और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए।

मॉक ड्रिल के उद्देश्य

बाढ़ से जुड़ी तैयारियों की समीक्षा

त्वरित निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि

विभागीय समन्वय और संसाधनों की दक्षता का परीक्षण

आईआरएस प्रणाली पर आधारित ड्रिल

घटना प्रतिक्रिया प्रणाली (IRS) के तहत आयोजित इस मॉक ड्रिल में सभी विभागों की भूमिका स्पष्ट होगी। राज्य, जिला और तहसील स्तर पर संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण देने की योजना भी बनाई गई है ताकि आपदा के समय भ्रम की स्थिति न रहे।

टास्क फोर्स का गठन

बाढ़ और जलभराव की स्थिति में तत्काल सहायता पहुंचाने, क्षति का आकलन और पुनर्निर्माण जैसे कार्यों के लिए जिलों को तहसील स्तर पर अलग-अलग टास्क फोर्स गठित करने के निर्देश दिए गए हैं।

प्रमुख अभ्यास परिदृश्य

हरिद्वार: कांवड़ यात्रा में भगदड़, कलसिया में तटबंध टूटना

ऊधमसिंहनगर: स्कूल में जलभराव, बच्चों का रेस्क्यू

नैनीताल, देहरादून और चम्पावत: विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ और जलभराव के अभ्यास

अलर्ट प्रणाली व राहत प्रयास

रिस्पांस टाइम को घटाकर 12 मिनट कर दिया गया है। यूएसडीएमए का लक्ष्य है कि अंतिम छोर तक व्यक्ति को समय रहते चेतावनी मिल सके। इसके लिए संचार के विभिन्न माध्यमों का उपयोग किया जा रहा है।

अन्य अहम बिंदु

फूड पैकेट्स का एयर ड्रॉप अभ्यास

गोताखोर, जल पुलिस, बोट, राफ्ट आदि के प्रयोग पर समीक्षा

राहत शिविरों की तैयारियों का मूल्यांकन

मौसम विभाग ने जुलाई-अगस्त में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना जताई