शिक्षा और प्राविधिक शिक्षा विभाग मैं शिक्षकों , कर्मियों के तबादलों में खेल, अधिकारयों ने तबादला एक्ट को दरकिनार कर किये स्थानांतरण

विशन सिंह वोरा/  देहरादून:

शिक्षा और प्राविधिक शिक्षा विभाग में हुए तबादलों में खेल हुआ है। अधिकारियों ने तबादला एक्ट को दरकिनार कर शिक्षकों एवं कर्मचारियों के तबादले किए। प्राविधिक शिक्षा में कर्मचारियों के सुगम क्षेत्र में की गई सेवा के बाद फिर श्वेत्र में तबादले कर दिए गए, जबकि शिक्षा विभाग में 25 साल से अधिक की दुर्गम क्षेत्र की सेवा के बाद शिक्षक को फिर से दुर्गम क्षेत्र के स्कूल में तैनाती दे दी गई हैं; शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी के मुताबिक माध्यमिक शिक्षा में विभाग तबादलों से संबंधित 300 से अधिक आपत्तियां मिली हैं। इन आपत्तियों पर निर्णय लिया जाएगा।

शिक्षक और कर्मचारी इस साल तबादला एक्ट के तहत पारदर्शी तबादलों कौ आस लगाए थे, लेकिन विभागों में हुए तबादलों में नियमों को ताक पर रख दिया गया है। ऐसे हो टिहरी गढ़वाल जिले के राजकीय इंटर कालेज रणकोट के सहायक अध्यापक उमेश कुमार सिंह को पहली नियुक्ति 1996 में जिले के इस दुर्गम क्षेत्र के स्कूल में हुईं। दुर्गम क्षेत्र के इस स्कूल में उनकी 25 साल से अधिक की सेवा हो चुकी है।

तबादला एक्ट के तहत वह सुगम क्षेत्र के स्कूल में तबादले की आस लगाए थे। अनिवार्य तबादलों की सूची में उनका नाम ।74वें स्थान पर था, लेकिन अनिवार्य तबादले से पहले विभाग ने उनका 25 साल से अधिक की दुर्गम क्षेत्र में की गईं सेवा के बावजूद राजकीय इंटर कॉलेज में समायोजन कर दिया। उनका जिस स्कूल में समायोजन किया गया है, वह दुर्गम क्षेत्र का स्कूल है। इसी तरह के कई अन्य शिक्षकों के मामले सामने आए हैं।

शिक्षकों के मुताबिक इस जिले में माध्यमिक के 76 शिक्षकों का समायोजन किया गया है। जिनमें से कुछ की दुर्गम क्षेत्र के स्कूल में 26 साल से अधिक की सेवा हो चुकी है। इसके बावजूद उनका दुर्गम क्षेत्र के स्कूलों में समायोजन किया गया है। शिक्षा विभाग के अलावा प्राविधिक शिक्षा विभाग में भी तबादलों में जमकर खेल हुआ है। विभाग की ओर से तबादला एक्ट को ताक पर रखकर, जिसे जहां चाहा उसे उस क्षेत्र के पॉलिटेक्निक में तैनाती दी गई है।

विभागीय निदेशक हरि सिंह की ओर से कर्मचारियों की पदोन्नति के बाद दुर्गम के बजाय सुगम से सुगम क्षेत्र के पॉलिटेक्निकों में तैनाती दी गई. है। प्राविधिक शिक्षा में तबादला संशोधन के नाम पर भी जमकर खेल हुआ है। इस संबंध में प्राविधिक शिक्षा के निदेशक हरि सिंह से प्रयास के बाद भी संपर्क नहीं हो सका।